हरिद्वार। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुज का 44वां ज्ञानदीक्षा समारोह सोमवार को उत्साहपूर्वक सम्पन्न हो गया। ज्ञानदीक्षा समारोह में विभिन्न राज्यों के नवप्रवेशी छात्र-छात्राएं दीक्षित हुए।समारोह के मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि जिन युवाओं में अनुशासन होता, ऐसे युवा ही आगे बढ़ते हैं। देसंविवि की एक खास बात है कि यह युवाओं को अनुशासन के निर्वहन के लिए हमेशा प्रशिक्षित करता आ रहा है। उन्होंने कहा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया जाने वाला ज्ञानदीक्षा संस्कार समारोह एक बहुत ही अच्छा आयोजन है, जिसे राज्यभर के सभी विश्वविद्यालयों में आयोजित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे ज्ञानदीक्षा संस्कार समारोह जैसे कार्यक्रमों के साथ जब विद्यार्थी विश्वविद्यालयों में आएगा, तो रैगिंग जैसी परेशानियां भी जड़ से खत्म हो जायेंगी।
विशिष्ट अतिथि दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि शिक्षा भौतिक जगत से परिचित कराती है, लेकिन विद्या जड़ से जगत की यात्रा कराती है। आज पूरी दुनिया भारत की ओर टकटकी लगायी बैठी है। आप भारत के एम्बेस्डर बनकर पूरी दुनिया में जायें और वसुधैव कुटुंबकम के भाव का विस्तार करें।
इस दौरान देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या वर्चुअल जुड़े और नवप्रवेशी विद्यार्थियों को ज्ञानदीक्षा के सूत्रों से दीक्षित किया। उन्होंने कहा कि ज्ञानदीक्षा संस्कार विद्यार्थियों को नवजीवन प्रदान करने वाला है। ज्ञानदीक्षा की पृष्ठभूमि बताते हुए प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि परिस्थिति को बदलने से पहले अपनी मनःस्थिति को बदलें। ज्ञानदीक्षा का अर्थ हमारे व्यक्तित्व के अंदर प्रतिष्ठित हो तो सकारात्मक परिवर्तन संभव है। ज्ञानदीक्षा ज्ञान के उदय का पर्व है। कुलपति शरद पारधी ने स्वागत भाषण दिया।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज के 44वां ज्ञानदीक्षा संस्कार समारोह में नवप्रवेशी विद्यार्थी वैदिक सूत्रों में बंधे। समारोह में उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, मप्र, झारखण्ड, बिहार सहित 22 राज्यों के 2000 से अधिक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। उदय किशोर मिश्र व रामावतार पाटीदार ने नवप्रवेशार्थी छात्र-छात्राओं को वैदिक रीति से ज्ञानदीक्षा का वैदिक कर्मकाण्ड कराया।