नई दिल्ली। जनसत्ता के संस्थापक संपादक प्रभाष जोशी की स्मृति में राजघाट के निकट गांधी स्मृति में एक भव्य आयोजन हुआ। इसमें बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को लोकतंत्र में संसदीय मर्यादा विषय पर स्मारक व्याख्यान देना था। अस्वस्थ होने के कारण उन्होंने यह लिखित रूप में भेजा, जिसमें उन्होंने संसद के कुछ दिन पूर्व हुए सत्र में विपक्षी दलों के व्यवहार की कठोर शब्दों में आलोचना की। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब विपक्ष के नेता कठिन तथ्यहीन और अशोभनीय बातें कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता का यह दायित्व है कि वह उन श्रेष्ठ परंपराओं का निर्वाह करें जो संसदीय राजनीति को मजबूत बनाती है। राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान नारेबाजी और वाकआउट को भी विपक्ष की कमजोरी और नाकामी बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने प्रतिपक्ष के नेता का अमर्यादित भाषण भी बड़ी शांति से सुना था। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र यहां की जनता के द्वारा पालित और पोषित किया जाता है जो लोग भी संसद की मर्यादाओं को जितनी जल्दी सीख लेंगे उतना अच्छा है अन्यथा जनता उन्हें सुधार देगी।
इस अवसर पर जनता दल यूनाइटेड के महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि इस बार का विपक्ष बहुत हताश है और इस कारण वह संसदीय परंपराओं को ताक पर रखकर केवल हंगामा खड़ा करना चाहता है। उन्होंने आपातकाल की यादें ताजा करते हुए कहा कि इंदिरा गांधी के उदय के साथ ही आंतरिक लोकतंत्र समाप्त होने लगा था। उन्होंने कांग्रेस के भीतर भी लोकतंत्र खत्म किया और उसके बाद देश से भी लोकतंत्र खत्म करने का प्रयास किया। उसी कड़ी में उन्होंने आपातकाल लगाया जो भारतीय संविधान की हत्या ही है।