गांधीनगर। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को गांधीनगर के महात्मा मंदिर में 102वें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर आयोजित सहकार से समृद्धि कार्यक्रम में कहा कि सहकारी संस्थाओं को देश की अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार स्तंभ बनाया जाएगा। इसके जरिए देश के करोड़ों गरीब लोगों के जीवन में सुविधाओं, समृद्धि और आत्मविश्वास स्थापित करने का काम किया जाएगा।
केन्द्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि भारत में सहकार कोई नया विचार नहीं है। हमलोगों के पूर्वजों ने 125 साल पुराने इस विचार को अपनाया था। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल, महात्मा गांधी, गाडगिल, वैकुंठ मेहता और त्रिभुवन दास पटेल जैसे महान विभूतियों ने इसकी शुरुआत की थी। आज सहकारी आंदोलन देश के विभिन्न क्षेत्रों में बड़ा योगदान दे रहा है। सहकारी क्षेत्र कृषि लोन में 20 फीसदी, खाद के वितरण में 35 फीसदी, उत्पादन में 21 फीसदी, चीनी उत्पादन में 31 फीसदी, गेहूं की खरीदी में 13 फीसदी, धान की खरीदी में 20 फीसदी योगदान दे रहा है। शाह ने कहा कि आगामी 5 साल में सहकारिता का इतना मजबूत पीलर खड़ा करना है जिससे आगामी 125 साल तक सभी गांवों और घरों तक सहकारिता का लाभ पहुंच सके। उन्होंने कहा कि सरकार शीघ्र ही राष्ट्रीय सहकारी नीति लाएगी।
दो नई योजनाएं लागू
शाह ने कहा कि मोदी सरकार सहकारी समितियों के माध्यम से दो नई योजनाएं लेकर आई है। इथेनॉल को बढ़ावा देने और मक्का उत्पादक किसानों की समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने व्यवस्था की है कि सरकार की दो बड़ी सहकारी समितियां किसानों द्वारा उत्पादित मक्का को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर ऑनलाइन खरीदेंगी और उससे इथेनॉल का उत्पादन करेंगी। उन्होंने कहा कि इससे न केवल किसान समृद्ध होंगे बल्कि पेट्रोल आयात कम करके देश के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इसी तरह अब भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) और उपभोक्ता सहकारी संगठन भी 4 प्रकार की दालें 100 प्रतिशत एमएसपी पर खरीदेंगे। उन्होंने कहा, हमें सहकारी समितियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि हम सहकारी क्षेत्र के सभी आर्थिक लेन-देन सहकारी क्षेत्र के भीतर ही करें तो हमें सहकारी क्षेत्र के बाहर से एक पैसा भी लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।