वाह जिंदगी वाह’कार्यक्रम में जीवन जीने की कला सिखा गई बीके शिवानी

शिवानी को सुनने के लिए रुड़की में उमड़ा जनसैलाब
रुड़की।प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्‍वविद्यालय की अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक वक्ता और प्रेरक वक्ता राजयोगिनी बीके शिवानी ने कहा कि हम परिस्थितियों के गुलाम हो गए हैं और हमें मन की गुलामी से मुक्ति पाकर ही आत्मनिर्भरता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि राम राज्य कब आएगा, हमें इसका इंतजार नहीं करना है, बल्कि राम राज्य लाने के लिए हमें अभी से प्रयास करने होगें।
बी के शिवानी आज शाम रुड़की के अशोका फार्म में आयोजित आध्यात्मिक कार्यक्रम ‘वाह जिंदगी वाह’ में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थी। इस कार्यक्रम का आयोजन प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्‍वविद्यालय सेवा केंद्र रुड़की द्वारा किया गया है। शिवानी ने ब्रह्माकुमारीज़ बहनों ने दीप प्रज्वलित कर समारोह की शुरुआत की। बीके शिवानी का देहरादून, हरिद्वार व रुड़की के सेवा केंद्र प्रभारियों मंजू दीदी, मीना दीदी व गीता दीदी ने उन्हें पुष्प कुछ भेंट कर स्वागत किया। विधायक प्रदीप बत्रा, राज्य मंत्री स्तर श्यामवीर सैनी,जिला पंचायत अध्यक्ष राजेंद्र सिंह , ब्रह्म कुमार सुशील भाई, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलपति डॉ श्रीगोपाल नारसन आदि ने बीके शिवानी का अभिनंदन किया। आध्यात्मिक गुरु बीके शिवानी के व्याख्यान को सुनने के लिए रुड़की में जनसैलाब उमड़ पड़ा। राजयोगिनी शिवानी ने श्रोताओं को जीवन जीने की कला के कई गुर सिखाए।
उन्होंने कहा कि हम हर रोज बच्चों को पढ़ाई के लिए स्ट्रेस देते है,परन्तु एग्जाम के दिन कहते है स्ट्रेस मत लेना,क्या यह कहने मात्र से स्ट्रेस खत्म हो जाएगा?हम एक दूसरे से अंजान होते हुए भी सड़क पर चलती गाड़ी से प्रतिस्पर्धा कर बैठते है और दूसरे से आगे जाने की होड़ में रेड सिग्नल तोड़ बैठते है।वही अगर मेरी गाड़ी खराब हो जाती है,तो क्या दूसरा अपने उस अंजान प्रतिस्पर्धी की मदद के लिए रुकेगा?वास्तव में जीवन एक रेस है,जिसमे सद्भावना से ही एक दूसरे को खुशी मिल सकती है। भौतिक तरक्की के चक्कर मे हम अपनी खुशी खो बैठते है।जबकि खुशी मन की स्तिथि पर निर्भर करता है।खुशी सोफे पर बैठकर भी नही जमीन पर पालथी मारकर बैठने से भी मिल सकती है। हमें सतयुग को डर या गुस्सा या नाराजगी दिखाकर नहीं ,बल्कि प्यार और शांति से लाना होगा। उन्होंने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में हम आज इंद्रियों के गुलाम हो गए हैं।साधनों के ऊपर निर्भर हो गए हैं। हमें साधनों का गुलाम नहीं बल्कि उनका मालिक बनना है। तभी हम आध्यात्मिक सुख की ओर जा सकते हैं। और यही राजयोग का चमत्कार है। यह सब संकल्प से सिद्धि की ओर जाकर ही हो सकता है।
आध्यात्मिक स्पीकर बीके शिवानी ने परमात्मा और आत्मा के गूढ रहस्य को उजागर करते हुए कहा कि हम अपनी आत्मा को शक्तिशाली बनाने के लिए हर विपरीत स्थिति में भी शांत और स्थिर मन और चित को बनाए रखें। हमें कोई भी कष्ट दे या बद् दुआ दे परंतु हम उसे बद दुआ देने की बजाय उसे दुआ दें और दुआ रूपी मरहम से बददुआ के घांव को सहलाएं और भरें। क्योंकि हमारे संस्कार किसी को दुख देने वाले नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि परमात्मा से आत्मा का मिलन ही राजयोग है और इसके लिए हमें जीवन में शुद्ध संस्कारों का निर्वहन करना होगा । हमें जीवन में अन्न-जल ग्रहण करते हुए उसकी शुद्धता का ध्यान रखना होगा। कहते हैं जैसा अन्न वैसा मन और जैसा पानी वैसी वाणी।
उन्होंने कहा कि मनुष्य के जो कर्म होते हैं , वही उसके साथ अगले जन्म के लिए जाते हैं। और हमारे इस जन्म के कर्म हमें अगले जन्म का निर्धारण करते हैं। और हमारे इस जन्मों के कर्मों का लेखा-जोखा हमारे अगले जन्म को निर्धारित करता है।
उन्होंने कहा कि कोई आत्मा अपने इस शरीर को छोड़कर नए शरीर में यानी नए परिवार में जाना चाहती है तो हम उसे आत्मा को नए शरीर में जाने के लिए रोक नहीं बल्कि उसे खुशी-खुशी विदा करें और वह आत्मा खुशी सेे पुराने शरीर से नए शरीर में प्रवेश करती है तो वह हमें आशीष देती है। और हमारे परिवार में सदैव खुशी बनाए रखती है ,यही राजयोग है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे और बीके शिवानी के उद्बोधन में घण्टो खोए रहे।

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