देहरादून। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने मतदान समाप्त होते ही उत्तराखण्ड प्रदेश में बिजली की दरों में की गई भारी वृद्धि पर रोष प्रकट करते हुए इसे महंगाई के बोझ से दबी जनता के सिर पर और बोझ डालने वाला बताया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष माहरा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बिजली की दरों में 8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने का निर्णय लिया गया है, जो जनहित में न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है। राज्य सरकार के बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी के निर्णय से पहले से महंगाई की मार झेल रही प्रदेश की जनता पर दोहरी मार पड़ेगी। इसका खामियाजा गरीब, किसान और आम जनता को भुगतना पड़ेगा। विद्युत उत्पादक राज्य होने के बावजूद उत्तराखंड राज्य में पूर्व से ही बिजली की दरें अन्य कई राज्यों जिनमें विद्युत उत्पादन लगभग शून्य है, उनकी अपेक्षा काफी अधिक हैं। अब अतिरिक्त बिजली खरीदने और नवीनीकरण के नाम पर एडीबी से लिये जा रहे नये लोन का बोझ भी प्रदेश की आम जनता पर थोपा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वर्ष 2017 से 2024 के मध्य 7 वर्ष के अन्तराल में बिजली के दामों में लगभग 45 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है। इसके विपरीत आम जरूरत की चीजों के दामों में कई गुना वृद्धि पर केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा नियंत्रण नहीं किया जा रहा है। रसोई गैस, पेट्रोलियम पदार्थ और खाद्य पदार्थों के लगातार बढ़ रहे दामों के बाद अब राज्य सरकार द्वारा बिजली की दरों में भारी वृद्धि कर जनता को महंगाई के बोझ से लादने का काम किया जा रहा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने विभागीय लापरवाही के चलते होने वाले लाइन लॉस की क्षतिपूर्ति आम उपभोक्ता की जेब से किये जाने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि विभाग का यह फैसला तर्कसंगत प्रतीत नहीं होता है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर अस्पताल, स्कूल और कॉलेजों की बिजली भी महंगी होने से शिक्षा महंगी होने का अंदेशा है वहीं किसानों के नलकूपों के लिए बिजली दरों में भारी बढ़ोत्तरी पहले से कर्ज के बोझ से दबे किसानों की कमर तोड़ने जैसा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष माहरा ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि व्यापक जनहित को देखते हुए सभी प्रकार की विद्युत दरों में की गई वृद्धि के निर्णय को तत्काल वापस लिया जाय अन्यथा कांग्रेस पार्टी सरकार की इस जन विरोधी और गरीब विरोधी नीति का सड़कों पर उतर कर विरोध करेगी।