श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी भाजपा सरकार के दो वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने पर भाजपा द्वारा धामी सरकार की तथाकथित उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटा जा रहा है,परन्तु वास्तविकता यह है कि उत्तराखंड की धामी सरकार इन दो वर्षों में ज्यादातर मोर्चे पर विफल साबित हुई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा की माने तो इन दो वर्षों के कार्यकाल में राज्य की धामी सरकार की कोई ऐसी उपलब्धि नहीं है, जिस पर राज्यवासियों को गर्व हो सके।उनका मानना है कि भाजपा सरकार ने अपने दो वर्ष के कार्यकाल में केवल महिलाओं, युवाओं, किसानों, गरीबों का उत्पीड़न करने, जनता को धर्म के नाम पर गुमराह करने तथा मंहगाई, भ्रष्टाचार व बरोजगारी बढ़ाने के अलावा कोई भी ऐसा काम नहीं किया है,जिसपर गर्व किया जा सके।हम आंकलन करे तो भाजपा सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल में उत्तराखंड में हत्या, चोरी, डकैती, मासूमों से बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों की घटनाओं में भारी वृद्धि हुई है।जिनमे अंकिता भण्डारी जघन्य हत्याकाण्ड, हेमा नेगी हत्याकाण्ड, पिंकी हत्याकाण्ड, जगदीश चन्द हत्याकाण्ड, विजय वात्सल्य हत्याकाण्ड, केदार भण्डारी तथा विपिन रावत हत्याकाण्ड जहां शामिल है।वही राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विधानसभा क्षेत्र में नाबालिग से बलात्कार की घटना से गिरती कानून व्यवस्था उजागर हो गई है,जो राज्य की अस्मिता पर चोट भी है।साथ ही राज्य सरकार के कई विभागों में हुए भर्ती घोटालों और व्याप्त भ्रष्टाचार से स्पष्ट हो गया है कि भाजपा सरकार इन दो वर्षों के कार्यकाल में भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी रही है और उसका भयमुक्त समाज -भ्र्ष्टाचार मुक्त शासन का नारा ध्वस्त होकर रह गया है।
चाहे वह अंकिता भण्डारी हत्याकांड हो, हेमा नेगी हत्याकांड हो, पिंकी हत्याकांड, जगदीश चन्द हत्याकांड, विजय वात्सल्य हत्याकाण्ड, केदार भण्डारी तथा विपिन रावत हत्याकाण्ड हो,इन सारे जघन्य हत्याकाण्डों में सरकार पर अपराधियों को संरक्षण देने के आरोप भी विपक्ष द्वारा लगाए जाते रहे है। वही चर्चित अंकिता भण्डारी हत्याकांड में शामिल वीआईपी का नाम धामी सरकार अभी तक उजागर नहीं कर पाई है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती घोटाला, लोक सेवा आयोग भर्ती घोटाला, पुलिस भर्ती घोटाला, फारेस्ट गार्ड भर्ती घोटाला, सहकारिता भर्ती घोटाला, पटवारी भर्ती घोटालो में हुई कई गिरफ्तारियां जिनमें अधिकतर भाजपा नेता संलिप्त थे ,से भाजपा सरकार का चेहरा उजागर हुआ है।जिसके चलते राज्य की धामी सरकार भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने के आरोपो से घिरती रही है।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष एस.राजू द्वारा अपने त्यागपत्र में आरोपित घोटाले मे लिप्त सफेदपोश नेता कौन है ,इस पर भाजपा सरकार आज तक मौन साधे हुए है। भर्ती घोटालों में आरोपित हाकम सिंह सत्तारूढ़ पार्टी के पदाधिकारी है और हरिद्वार के संजय धारीवाल तथा नितिन चौहान मण्डल अध्यक्ष व महामंत्री हैं इससे स्पष्ट है कि दो साल के कार्यकाल में सरकार के संरक्षण में भ्रष्टाचार का उद्योग बड़ी तेजी से फलता-फूलता रहा है।उत्तराखंड राज्य में बेरोजगारों की संख्या में रोज इजाफा हो रहा है । रोजगार मांगने पर सरकार द्वारा बेरोजगारों पर निर्मम लाठी चार्ज किये गए। प्रदेशभर में निर्माण सम्बन्धी कार्यों में खुलेआम कमीशनखोरी, निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में कमी तथा छोटे ठेकेदारों का शोषण आम बात हो गई है। मलिन बस्तियों के विनियमितीकरण की बाबत सरकार कोई नीति नहीं बना पाई है। प्रदेश में स्थापित लघु व बड़े उद्योग लगातार बंद होते जा रहे है या फिर इन उद्योगों का पलायन हो रहा है,जिसे रोकने में सरकार पूरी तरह विफल रही है। इन दो वर्षों में राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं तो पूरी तरह ध्वस्त हो गई ।
उत्तराखंड में जोशीमठ त्रासदी के प्रभावित परिवार सरकार से विस्थापन की मांग करते रहे परन्तु राज्य की धामी सरकार आपदा पीडितों के विस्थापन तथा पुर्ननिर्माण के लिए ठोस निर्णय लेने में विफल साबित हुई है।
प्रदेश में शराब माफिया और खनन माफिया हावी है। सरकारी संरक्षण में शराब की तस्करी तथा खनन में हो रहे भ्रष्टाचार के कारण सरकार को करोड़ों रूपये के राजस्व की हानि हो रही है। वही गन्ना किसानों का पिछला बकाया भुगतान सरकार नहीं कर पाई है,जबकि नई गन्ना फसल के समर्थन मूल्य में मात्र 20 रुपये की वृद्धि किसानों का शोषण जैसा ही है। पानी, बिजली के दामों में लगातार बढ़ोतरी कर आम आदमी पर लगातार महंगाई का बोझ डाला गया है।
लेकिन अपनी विफलताओं पर पश्चाताप करने की बजाय राज्य की धामी सरकार झूठी उपलब्धियों के जरिए आमजनता को गुमराह करने में लगी हुई है।
भाजपा सरकार किसानों की आय सन 2022 तक दोगुनी करने के दावे कर रही थी, लेकिन किसानों की दोगुनी आए आज तक भी नहीं हो सकी है, उत्तराखंड के हालात यह है की शराब सस्ती है और डीजल, खाद और बिजली-पानी का बिल, सभी महंगी हो गया हैं। प्रदेश में किसान भी पूरी तरह से खुद को असहाय महसूस कर रहा है। सरकार ने इस बार गन्ने का समर्थन मूल्य भी नाम मात्र को बढ़ाया, जिससे गन्ना किसानों को भी काफी दिक्कतें हो रहीं हैं।राज्य सरकार सिर्फ हवा हवाई बातें करके अपने दो साल के कार्यकाल को सफल बता रही है,जबकि राज्य में माहौल निराशा भरा है।तभी तो कभी धर्म के नाम पर कभी मंदिर के नाम पर लोगो को बहकाने की कौशिश की जाती है।भाजपा अपनी सरकार की विफलताओं को छिपाने के लिए भावनात्मक मुद्दों को आगे बढ़ाकर आमजन को गुमराह कर रही है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और राज्यों की सरकार अपनी विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए बार-बार समान नागरिक संहिता की बात कर रही हैं।उन्होंने कहा कि इस कानून को समान नागरिक संहिता कहना सही नहीं है क्योंकि इसका दायरा केवल उत्तराखंड राज्य तक सीमित होगा।एक संहिता जिसके लागू होने का दायरा एक राज्य तक सीमित होगा, उसे यूनीफॉर्म कैसे कहा जा सकता है? उन्होंने कहा कि राज्य की सीमाओं से बाहर यूसीसी का कोई अर्थ ही नहीं है। भाजपा यूसीसी का इस्तेमाल महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी के नीचे दबी जनता का ध्यान हटाने के लिए कर रही है। जबकि विकास के मुद्दे कही दबकर रह गए है।जबकि धामी सरकार का दावा है कि बीते 24 महीने में 48 बड़ी गारंटियों को धामी सरकार ने यथार्थ में परिवर्तित किया है। ये वह तमाम संकल्प थे, जिनका वादा 2022 विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं भाजपा ने जनता से किया था।लेकिन ये गारंटी और संकल्प कौन से है ,यह बताने की कौशिश नही की गई।वही नुजूल नीति लागू न कर पाने के कारण हल्द्वानी में हजारों घरों पर जहां बुलडोजर चलाकर लोगो को बेघर कर दिया गया,वही गुस्साए लोगों के उपद्रव के कारण कानून व्यवस्था तक प्रभावित हुई है।आज भी राज्य में नुजूल की हजारों एकड़ भूमि है,जिसपर ठोस नीतिगत पहल करने की जरूरत है,न कि बुलडोजर चलाकर लोगो को फुटपाथ पर लाकर छोड़ देने की।जो राज्य सरकार की विफलता में ही गिना जाएगा । ।(लेखक ज्वलंत मुद्दों के टिप्पणीकार व वरिष्ठ पत्रकार है)