देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य (Leader of Opposition Yashpal Arya) ने कहा कि विपक्ष के बिना कार्य मंत्रणा की बैठक करना संसदीय परम्पराओं की अनदेखी है। सत्ता पक्ष संख्या बल के आधार पर सत्र को मनमानी तरीक़े से चलाना चाह रही है। विपक्ष के साथ गतिरोध को खत्म करने के लिए संवाद नहीं किया जा रहा है।
सोमवार को बजट सत्र में शामिल होने के लिए विधानसभा पहुंचे नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। आर्य ने कहा कि सरकार चर्चा और मुद्दों से बचना चाहती है। विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले सत्र में विशेष सत्र पर एतराज जताया था और नियम के अनुसार विशेष सत्र नहीं था। विपक्ष की मांग प्रश्नकाल और चर्चा की थी लेकिन सरकार तैयार नहीं हुई। इसी आधार पर कार्यमंत्रणा समित से त्यागपत्र दिया था।
उन्होंने कहा कि रविवार की रात बिना विपक्ष के कार्य मंत्रणा की बैठक हुई है, जो संसदीय परंपराओं का उल्लंघन है। बैठक को लेकर कोई वार्ता नहीं हुई, यह ठीक नहीं है। हमें दूरभाष पर बैठक में शामिल होने के लिए कहा है। यह लोकतंत्र का अपमान है। नियमों को ताक पर रखकर नया इतिहास लिखा जा रहा है। विपक्ष के साथ संवाद होना चाहिए लेकिन इसकी अनदेखी की जा रही है। यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष हमेशा सकारात्मक व्यवहार सदन में किया है। संख्या बल को आधार सत्ता पक्ष संसदीय परंपरा का घोर अपमान कर रही है। हम चाहेंगे सदन सही तरीक़े से चले। हंगामा करना हमारी आदत नहीं है। उन्होंने कहा कि ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में बजट सत्र आयोजित करना हमारी प्राथमिकता में है।
सरकार को सदन में घेरने की बनाई रणनीति
विपक्ष की अनुपस्थिति और गतिरोध के बीच कार्य मंत्रणा समिति की रविवार देर रात हुई बैठक में सत्र का एजेंडा तय किया। दरअसल, विधानसभा के हाल में संपन्न हुए विस्तारित सत्र के दौरान कार्यमंत्रणा समिति में शामिल नेता प्रतिपक्ष समेत मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के दोनों सदस्यों ने समिति से इस्तीफा दे दिया था। बताया जा रहा है कि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है। उधर, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भ्रष्टाचार, कानून व्यवस्था, बेलगाम नौकरशाही, गैरसैंण की उपेक्षा समेत तमाम मुद्दों को लेकर सड़क से लेकर सदन तक सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।