ईडी के निशाने पर हरक!

लोकसभा चुनाव से पहले छापे से आहत पूर्व मंत्री कहा ने, “मैंने कोई चोरी, डकैती नहीं डाली…”
हरीश रावत समेत मदन बिष्ट की राह में भी रोड़ा अटकने का डर
कांग्रेस अभी से अपने नेताओं का बचाव करने में जुटी

-डॉ. गोपाल नारसन रुड़की/देहरादून।

लोकसभा चुनाव से पहले ईडी (ED)के छापे से आहत पूर्व वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत (Former Forest Minister Dr. Harak Singh Rawat)के ही शब्दों में,”मैंने कोई चोरी, डकैती नहीं डाली, जो प्रवर्तन निदेशालय ने इस तरह मेरे घर पर छापा मारा। मैं घर पर सो रहा था, अचानक ईडी के लोग आ गए, मेरा मोबाइल ले लिया और पूरे घर की तलाशी ली। उन्हें कुछ फाइलों और साढ़े तीन लाख रुपये के अलावा कुछ नहीं मिला। दो जनरेटरों के लिए यह सब कार्रवाई हुई है। इसके लिए एक नोटिस दे दिया गया होता तो इसे वह खुद लौटा देते।” मीडिया के सामने आपबीती सुनाते हुए डॉ हरक सिंह रावत ने इसे बदले की कार्यवाही बताया।

उन्होंने कहा कि कोविड काल के दौरान कालागढ़ डिविजन से उन्हें दो जनरेटर मिले थे। छिद्दरवाला में कार्यालय बनाया था, इसलिए जनरेटर वहां रख दिया। मंत्री पद से हटने के बाद उनके निजी सचिव ने डीएफओ को लिखा था कि सरकारी संपत्ति (Government Property)वापस ले ली जाए। विभाग की जिम्मेदारी थी कि वापस ले जाते, इसके लिए छापा मारने की जरूरत कहां थी? पाखरों टाइगर सफारी और ढेला रेस्क्यू सेंटर प्रधानमंत्री का प्रोजेक्ट था। 106 हेक्टेयर में पाखरों टाइगर सफारी के लिए केंद्र सरकार की अनुमति के बाद इसमें काम शुरू हुआ। इसमें 16 हेक्टेयर नॉन फॉरेस्ट के लिए मंजूर हुआ।

इस पूरे प्रकरण में यदि उनकी कोई भूमिका है तो यह है कि उन्होंने प्रोजेक्ट की शीघ्र मंजूरी के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया था। ईडी उनके घर से मेडिकल कॉलेज और उनकी बहू के एनजीओ के दस्तावेज ले गई है। ईडी को उनके घर से साढ़े तीन लाख रुपये मिले थे, जिसे यह कहते हुए ईडी ने लौटा दिया कि इतनी धनराशि रखी जा सकती है। ईडी को कोई ज्वेलरी नहीं मिली। डॉ. हरक ने कॉलेज की जमीन वर्ष 2003 में खरीदी थी। वर्ष 2011 में जिस समय डॉ रमेश पोखरियाल निशंक मुख्यमंत्री थे, इस जमीन के मामले की जांच हुई, इसके बाद वर्ष 2016 में भी इसकी जांच की गई और उनके खिलाफ चार्जशीट भेजी गई थी ,जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। दो मामलों में डॉ हरक सिंह रावत समेत 10 लोगों के ठिकानों पर रेड डाली गई है।
ईडी की टीम सुबह तड़के 4 बजे उनके देहरादून स्थित घर पर व अन्य ठिकानों पर पहुंची थी और छापेमारी की। इससे पहले पिछले साल अगस्त में भी विजिलेंस विभाग ने हरक सिंह रावत के खिलाफ की कार्रवाई थी। वर्ष 2019-20 में डॉ हरक सिंह रावत के वन मंत्री रहने के दौरान कॉर्बेट टाइगर सफारी प्रोजेक्ट के लिए पेड़ों की कटाई होनी थी, इसके लिए सिर्फ 169 पेड़ों को ही काटने की अनुमति दी गई थी, जबकि हजारों पेड़ काट दिए गए थे, इसके अलावा उनपर पाखरों रेंज में अवैध निर्माण का भी आरोप है। ईडी ने इन्हीं मामलों की जांच के लिए छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया है। वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने डॉ हरक सिंह रावत को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निकाल दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने अपनी बहू अनुकृति गुसाईं के साथ कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली थी। ईडी की टीम ने कांग्रेस नेता डॉ हरक सिंह रावत के आवास से कुछ दस्तावेज और कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी कब्जे में लिए है। डॉ हरक सिंह रावत का विवादों से हमेशा ही नाता रहा है। यह पहली बार नहीं है कि हरक सिंह रावत से जुड़ी संपत्तियां ईडी के जांच के दायरे में आई है।
इससे पहले वर्ष 2023 में उत्तराखंड विजिलेंस ने उनके देहरादून के शंकरपुर स्थित एक संस्थान और छिट्दवाला वाला में एक पेट्रोल पंप पर छापे मारे थे। 30 अगस्त, 2023 को हुई कार्रवाई के मामले में राज्य सतर्कता प्रमुख वी मुरुगेशन ने कहा था कि टीम ने दोनों स्थानों पर जांच की तो पताचला कि दोनों संपत्तियां कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की हैं। शंकरपुर स्थित दून इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज और पेट्रोल पंप दोनों हरक सिंह रावत के बेटे के हैं। इस जांच में पाया गया था कि दोनों निजी स्थान पर लगाए गए दो जनरेटर सेट सरकारी पैसों से खरीदे गए थे। पिछले साल हुई कार्रवाई में विजिलेंस ने एक डीएफओ को जेल भी भेजा था। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ईडी की छापेमारी ने कांग्रेस नेता डॉ हरक सिंह रावत को मुश्किलों में डाल दिया है। डॉ हरक सिंह रावत लोकसभा चुनाव केलिए कांग्रेस पार्टी से टिकट के दावेदार हैं, लेकिन अब ईडी की कार्रवाई के बाद डॉ हरक सिंह रावत की दावेदारी पर भी संकट खड़ा हो गया है।
डॉ हरक सिंह रावत वर्ष 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश में मंत्री बने थे। वह तब मंत्री बनने वाले सबसे कम उम्र के नेता थे। उन्होंने पौड़ी से विधानसभा चुनाव जीता था। एनडी तिवारी की सरकार में मंत्री रहे हरक सिंह रावत वर्ष 2003 में जैनी प्रकरण से चर्चा में आए थे। जैनी नामक एक महिला ने डॉ हरक सिंह रावत पर आरोप लगाया था कि उसके बच्चे के पिता हरक सिंह हैं। इस मामले में डीएनए टेस्ट भी कराया गया था, लेकिन उसकी रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं की गई और बाद में मामला रफा-दफा कर दिया गया। इन आरोपों के चलते वर्ष 2003 में हरक सिंह रावत को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

वर्ष 2013 में भी मेरठ निवासी एक महिला ने डॉ हरक सिंह रावत पर शारीरिक शोषण का आरोप लगाया था। उस समय हरक सिंह रावत, विजय बहुगुणा की सरकार में मंत्री थे। इसके बाद वर्ष 2014 में मेरठ की रहने वाली महिला ने दिल्ली के सफदरजंग थाने में ही डॉ हरक सिंह रावत के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था लेकिन यह मामला भी रफा दफा हो गया है। वर्ष 2016 में मेरठ की महिला ने एक बार फिर रावत के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। 18 मार्च 2016 को उत्तराखंड विधानसभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले बागियों में डॉ हरक सिंह रावत की भूमिका अग्रणी रही थी। इसके बाद उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद हरीश रावत सरकार बहाल हो गई थी। उस समय डॉ हरक सिंह रावत समेत सभी नौ बागियों ने भाजपा का दामन थाम लिया था। जिससे साफ है कि विवादों से घिरे रहने के साथ ही डॉ हरक सिंह रावत बार बार पार्टी भी बदलते रहे है और वर्तमान में कांग्रेस में हरिद्वार संसदीयसीट से टिकट की दावेदारी कर रहे थे कि इस छापेमारी के कारण उनकी दावेदारी को ग्रहण लग सकता है।

छापेमारी के दौरान उनके घर पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व पूर्व मंत्री प्रीतम सिंह गए थे,जिन्हें ईडी ने घर के अंदर नही आने दिया व दरवाजे से ही लौटा दिया। दरअसल लोकसभा चुनाव 2024 के लिए राजनीतिक दलों का गुणा भाग शुरू हो चुका है।
उत्तराखंड राज्य की 5 लोकसभा सीटों पर वर्ष 2014 और सन 2019 में दोनों बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कब्जा किया था, लेकिन 2024 के इस चुनाव के लिए कांग्रेस राज्य की कई सीटों पर जीत की उम्मीद लगाए हुए है। इसमें कांग्रेस खुद को हरिद्वार लोकसभा सीट पर सबसे मजबूत मान रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह पिछले 2022 के विधानसभा चुनाव में हरिद्वार जिले में कांग्रेस की बेहतर स्थिति और भाजपा को लगे झटके के कारण मानी जा रही है। हरिद्वार जिले में 11 सीट में से केवल 3 विधानसभा सीटों पर ही भाजपा जीत पाई थी, 5 विधानसभा सीटें कांग्रेस ने जीती थी। 2 सीटें बहुजन समाज पार्टी ने जीतीं,जबकि एक सीट पर निर्दलीय की जीत हुई थी। यही समीकरण 2024 में कांग्रेस को हरिद्वार लोकसभा सीट से उम्मीद के रूप में दिख रहा है।

सीबीआई ने खोली स्टिंग प्रकरण की फाइल

लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सीबीआई ने 2016 के स्टिंग प्रकरण की फाइल खोल दी है। हरक सिंह और हरीश रावत समेत कांग्रेस के विधायक मदन बिष्ट और निर्दलीय विधायक उमेश कुमार को भी नोटिस दिया था, यह नोटिस सीबीआई ने वॉयस सैंपल लेने के लिए दिया था। चूंकि हरीश रावत हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं, हरक सिंह रावत भी कांग्रेस में वापसी करने के बाद से ही हरिद्वार लोकसभा सीट पर दावा ठोक रहे हैं। इस तरह हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस के दो दिग्गज चेहरे चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन इन दोनों ही नेताओं को सीबीआई ने नोटिस देकर जांच के पचड़े में डाल दिया है,साथ ही डॉ हरक सिंह के घर ईडी की छापेमारी ने तो उनकी दावेदारी को खटाई में डाल दिया है।

यह मामला विधायकों की खरीद-फरोख्त और स्टिंग से जुड़ा है, सीबीआई की जांच आगे बढ़ने से इसका असर कांग्रेस की लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। इसमें भी सबसे ज्यादा दिक्कतें हरिद्वार लोकसभा सीट पर खड़ी होती हुई दिखाई दे रही हैं। इन स्थितियों को देख कर ही कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है। लोकसभा चुनाव 2024 में हरिद्वार सीट पर कांग्रेस की मजबूती को देखते हुए ही सीबीआई को एक बार फिर इस जांच में उतारा गया है, ऐसा कांग्रेस का मानना है। सीबीआई की जांच के जरिए एक तीर से कई निशाने लग रहे हैं। एक तरफ इस पूरे मामले में हरीश रावत की घेराबंदी भाजपा कर रही है। दूसरी तरफ इस मामले को जन्म देने वाले हरक सिंह रावत भी भाजपा से कांग्रेस में आ चुके होने के कारण उनका हथियार उन्ही के सिर वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। ऐसे में आरोप लगाने वाले और आरोप को झेलने वाले दोनों ही नेता कांग्रेस में हैं।यह दोनों ही नेता हरिद्वार लोकसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं। हरिद्वार लोकसभा सीट इन कारणों से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है।कांग्रेस अभी से अपने नेताओं का बचाव करने में जुट गई है, सीबीआई ने जिस तरह से कई सालों बाद इस प्रकरण को खोला है, उससे लगता है कि भाजपा सीबीआई के जरिए कांग्रेस को लोकसभा चुनाव से पहले बड़ी उलझन में डालना चाहती है। हरीश रावत अब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट से अपना दावा ठोक रहे है,बीजेपी से बेआबरू होकर निकले हरक सिंह रावत भी हरिद्वार लोकसभा सीट पर अपना दावा जता रहे है, इन दोनों की यह कुश्ती चल ही रही थी कि 2016 के स्टिंग आॅपरेशन मामले में सीबीआई की एंट्री हो गई है। सीबीआई का इस प्रकरण पर निगाह टेढ़ी करना हरिद्वार लोकसभा सीट पर कई तरह के नए समीकरण पैदा कर सकता है। हरीश रावत और हरक सिंह रावत समेत 4 नेताओं को सीबीआई के नोटिस कांग्रेस को सबसे ज्यादा खल रहे हैं। क्योंकि कांग्रेस हरिद्वार सीट को खुद के लिए आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में सबसे मजबूत मान रही है।

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