हरिद्वार। बीएचईएल स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में आयोजित अखिल भारतीय शिशु वाटिका परिषद बैठक एवं प्रशिक्षण के तीसरे दिन प्रारंभ शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत, विद्याभारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री गोविंद चन्द महंत और शिशुवाटिका गांधी ग्राम गुजरात के मार्गदर्शक दिव्यांशु भाई दवे न दीप प्रज्वलन कर किया।
दिव्यांशु भाई दवे ने कहा कि भारत प्राचीन काल से विश्व गुरु रहा है और यहां प्राचीन काल से ही गुरु शिष्य की परंपरा रही है। मनोविज्ञान के तीन सिद्धांत हैं। ज्ञान का सिद्धांत, चरित्र का सिद्धांत, चरित्र के साथ विकास का सिद्धांत। चरित्र के सिद्धांत में ही पंचकोषीय विकास का विषय आता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पहली बार पंचकोष पंचपदी के सिद्धांत को लागू किया गया है। शिशु वाटिका की परिषद इस पर अध्ययन एवं प्रयोग कर रही है। पंचपदी में पांच तत्व है अधिति, बोध, अभ्यास, प्रयोग एवम प्रसार।
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि वे जब भी विद्या भारती के विद्यालयों में जाते हैं तो उन्हें कुछ सीखने को अवश्य मिलता है। उत्तराखंड में विद्या भारती शिक्षा के क्षेत्र में सबसे आगे है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी पंचकोषीय पंचपदी शिक्षा को लागू कर दिया गया है। छात्रों की उन्नति के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं को भी लागू किया है। आने वाले समय में विद्या भारती और सरकार के साथ मिलकर शिक्षक प्रशिक्षण की शुरुआत भी करेंगे।
कार्यक्रम में शिशुवाटिका से संबद्ध आशा थानकी, नम्रता दत्त, हुकमचंद भुवन्ता, विद्याभारती के प्रांत संगठन मंत्री भुवन चंद्र, प्रान्त निरीक्षक डा.विजयपाल सिंह,सहप्रान्त निरीक्षक विनोद रावत, प्राचार्य लोकेंद्र दत्त अंथवाल व कमल सिंह रावत सहित विद्यालय समिति के सदस्य एवं देहरादून संभाग के समस्त प्रधानाचार्य उपस्थित रहे।