डां. गोपाल नारसन
दुनिया मे प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ( Prajapita Brahma Kumaris) ईश्वरीय विश्व विद्यालय एक मात्र ऐसा संस्थान है जिसका संचालन स्वयं परमात्मा शिव करते है । संस्थान से जुड़े भाई बहनों के लिए परमात्मा शिव है साजन है और वे उनकी सजनियां ।तभी तो ब्रह्माकुमारी व ब्रह्माकुमार परमात्मा शिव को ही प्रेमपत्र लिखते है और उन्ही की याद व प्रेम में ठीक उसी तरह खोये रहते है,जैसे श्रीकृष्ण की भक्ति में मीरा खोई रहती थी।वस्तुतः जब से इस संसार मे जीवन है, तब से प्रेम है और प्रेम की अभिव्यक्ति भी तभी से होती रही है। हम कह सकते है,जब मनुष्य ने भाषा को जन्म दिया होगा, क्रियाओं व भावनाओं के लिए शब्दो की उत्तपत्ति की होगी तथा उन शब्दों के लिए लिपि बनाई होगी ,तभी से प्रेम पत्रों का चलन भी शुरू हो गया होगा।अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का प्रेम पत्र एक सशक्त माध्यम रहा है।कहते है संसार मे सबसे पहला प्रेम पत्र रुक्मणि ने श्रीकृष्ण को लिखा था,उन्होंने एक पत्र लिखकर अपनी सखी सुंनदा के हाथों श्रीकृष्ण को भिजवाया था। इस तथ्य का उल्लेख भगवतपुराण के 52वें अध्याय में भी आता है। भगवतपुराण श्रीकृष्ण की भक्ति में लिखा गया संस्कृत महाकाव्य है। जिसका रचना सन 800 से 1000 ईस्वी के बीच की गई थी।प्रेम पत्र का दूसरा लिखित प्रमाण प्राचीन मिस्र में मिलता है। प्राचीन मिस्र की विधवा रानी आनखेसेनामुन ने हिजीत के राजा को प्रेम भरा पत्र लिखकर प्रार्थना की थी कि वह अपने किसी एक पुत्र को मिस्र भेज दे और उसका विवाह आनखेसेनामुन के साथ कर दे।प्रेम पत्रों का इतिहास प्राचीन चीन के सांहित्य में भी मिलता है, जिसमे एक चीनी लड़की की इच्छा के विरुद्ध माता-पिता उसका अपनी मर्जी से विवाह तय कर देते हैं तो वह अपने बचपन के दोस्त को एक प्रेम पत्र लिखती है। इसी प्रकार रोम सांहित्य में भी प्रेम अभिव्यक्तियों से भरे पत्रों के साक्ष्य मिलते हैं।अमेरिका में एक शोध के अनुसार संभवत: दो विश्व युद्धों के समय दुनिया में सबसे ज्यादा प्रेम पत्र लिखे गए थे।लेकिन वर्तमान में प्रेम पत्र लिखने की परम्परा अब समाप्त हो गई है और प्रेम प्रदर्शन का यह तरीका इतिहास बन गया है।प्रेम पत्रों की जगह व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर,मैसेंजर इंस्टाग्राम आदि माध्यमो से प्रेम का इज़हार होने लगा है।फिर भी एक दिन के लिए ही सही वेलेंटाइन डे के नाम पर प्यार की अभिव्यक्ति का दिवस आज भी मनाया जा रहा है।अपनी प्रेम भावनाओं को शब्दों में प्रस्तुत करने के लिए इस विशेष अवसर पर हर धड़कते हुए दिल को बेसब्री से इंतजार रहता है। दुनियाभर मे 14 फरवरी को मनाया जाने वाला वेलेंटाइन डे विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह से और अलग-अलग विश्वास के साथ मनाया जाता है। पश्चिमी देशों में इस दिन की रौनक शीर्ष पर रहती है, जबकि पूर्वी देशों में इस दिन को मनाने का अलग अंदाज होता है।चीन में यह दिन ‘नाइट्स ऑफ सेवेन्स’ के रूप में मनाया जाता है,जो प्यार में डूबे लोगो के लिए खास होता है, वहीं जापान व कोरिया में इस पर्व को ‘वाइट डे’ के नाम से जाना जाता है। इन देशों में इस दिन से पूरे एक महीने तक लोग अपने प्यार का इजहार करते हैं और एक-दूसरे को तोहफे व फूल देकर अपनी भावनाओं को प्रकट करते हैं।पाश्चात्य संस्कृति से जुड़े दुनिया के देशों में पारंपरिक रूप से इस पर्व को मनाने के लिए ‘वेलेंटाइन-डे’ नाम से प्रेम-पत्रों का आदान प्रदान किया जाता है , साथ में दिल, क्यूपिड, फूलों आदि प्रेम के चिन्हों को उपहार स्वरूप देकर अपनी भावनाओं को प्रदर्शित किया जाता है। 19वीं सदीं में अमेरिका ने इस दिन पर अधिकारिक तौर पर अवकाश घोषित तक कर दिया था।
हर वर्ष लगभग एक बिलियन वेलेंटाइन्स कार्ड उपयोग में आते हैं, जो क्रिसमस के बाद दूसरे सबसे अधिक कार्ड के विक्रय वाला पर्व माना जाता है।
वेलेंटाइन-डे मूल रूप से संत वेलेंटाइन के नाम पर मनाया जाता है। सैंट वेलेंटाइन के विषय में विभिन्न मत हैं ,सन 1969 में कैथोलिक चर्च ने कुल ग्यारह सेंट वेलेंटाइन के होने की पुष्टि की थी। प्रत्येक वर्ष 14 फरवरी को उनके सम्मान में यह पर्व मनाने की घोषणा की गई थी। इनमें सबसे महत्वपूर्ण वेलेंटाइन रोम के सेंट वेलेंटाइन माने जाते हैं।
सन 1260 में संकलित की गई ‘ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन’ नामक पुस्तक में सेंट वेलेंटाइन का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था। उसके अनुसार विवाह करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धि कम हो जाती है।इसीलिए उसने राजाज्ञा जारी की कि उसका कोई सैनिक या अधिकारी विवाह नहीं करेगा। संत वेलेंटाइन ने इसे क्रूर आदेश मानते हुए इसका विरोध किया।उन्हीं के आह्वान पर अनेक सैनिकों और अधिकारियों ने सम्राट की आज्ञा के विरुद्ध विद्रोह कर विवाह किए। जिससे नाराज़ होकर क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन् 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया। तब से उनकी स्मृति में प्रेम दिवस मनाया जाने लगा। सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु के समय जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को नेत्रदान किया व जेकोबस को एक पत्र लिखा, जिसमें अंत में उन्होंने लिखा था ‘तुम्हारा वेलेंटाइन’। उस दिन 14 फरवरी थी, जिसे बाद में इस संत के नाम से यह पर्व मनाया जाने लगा ।इस पर्व के एक सप्ताह पहले से विशेष दिन मनाने की परंपरा चली आ रही है,जो निम्न प्रकार है,
रोज डे – प्यार के खूबसूरत हफ्ते की शुरुआत 7 फरवरी के दिन से होती है। इस दिन आप जिससे प्यार करते हैं उन्हें गुलाब का फूल देकर अपनी भावनाओं से अवगत करवा सकते हैं। प्यार करने वाले जोड़े एक-दूसरे को लाल गुलाब देना पसंद करते हैं।
प्रपोज डे- दूसरा दिन प्रपोज डे का होता है। इस दिन प्रेमी जोड़ा एक-दूसरे को प्रपोज करता है। वहीं आप चाहें तो गुलाब और गिफ्ट के साथ उन्हें प्रपोज करने जा सकते हैं।
चॉकलेट डे- चॉकलेट तो सभी को पसंद होती है। वहीं लड़कियों को यह सबसे ज्यादा पसंद होती है। प्यार का इजहार करने के लिए चॉकलेट का सहारा लिया जा सकता है इससे सामने वाले की नाराजगी को पल भर में दूर किया जा सकता है वहीं अपने रुठे हुए प्रियजनों को इससे मनाया जा सकता है। इस दिन चॉकलेट देने से प्यार बढ़ता है।
टैडी डे- लड़कियों को टैडी बहुत पसंद होता है। टैडी को पूरी दुनिया में प्यार का प्रतीक माना जाता है। बचपन के साथ ही यह आपकी जवानी के भी साथी होते हैं।
प्रॉमिस डे- वादे हर रिश्ते की आधारशिला होते हैं। यह आपके हेल्दी रिलेशनशिप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस दिन आप जिससे प्यार करते हैं उनसे कोई खास वादा कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे ऐसा वादा ना कर बैठें जिसे आप बाद में निभा ना सकें। इसलिए सोच-समझकर वादा दें।
किस डे- वैलेनटाइन वीक के छठे दिन को किस डे के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन प्रेमी युगल किस के जरिए अपने प्यार का अहसास पार्टनर को करवाते हैं।
हग डे- गले लगाकर आप बहुत से रुठे हुए अपने प्रियजनों को मना सकते हैं। इस दिन आप गर्मजोशी से एक-दूसरे को गले लगाकर अपनी भावनाओं का अहसास दिला सकते हैं। हग प्यार, केयर और प्रोटेक्शन को दर्शाता है।
वैलेनटाइन डे- यह दिन प्यार करने वालों के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस दिन को प्रेमी जोड़ा एक-दूसरे के लिए स्पेशल बनाने के साथ ही उसे कभी ना भूलने वाला दिन बनाने की कोशिश करते हैं। हालांकि कुछ लोग इस दिन को शोक दिवस के रूप मे भी मनाते है क्योकि इसी दिन प्रेम व विवाह के समर्थक सन्त वेलनटाइन को फांसी पर चढ़ाया गया था।यानि यह पर्व प्यार के इजहार का अवसर है तो सन्त वैलेंटाइन को फांसी पर चढाये जाने के कारण शोक मनाने की घड़ी भी है।लेकिन दुनिया भर के लोग शोक भूलकर इसके मूलपक्ष प्रेम का इजहार रूप में इस उत्सव को मनाते है।जिसका महत्व व चलन भारत मे भी निरन्तर बढ़ता जा रहा है।लेकिन अच्छा यही है कि हम अपने उस परमपिता परमात्मा शिव को प्रेम करे जो सर्व सुखों का सागर है और हमारा पालनहार भी,जिसकी हम सब सजनियां है और परमात्मा हम सभी आत्मा रूपी सजनियो का साजन है, हम परमात्मा को याद करके या फिर परमात्मा को पत्र लिखकर अपने प्रेम का इज़हार कर सकते है,जैसा कि ब्रह्माकुमारीज में हर दिन को प्रेम का दिवस मानकर परमात्मा को पत्र लिखने और उनकी याद में रहने सीख दी जाती है। (लेखक ब्रह्माकुमारीज से जुड़े उत्तराखंड शासन से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार है)