- सूचना आयुक्त योगेश भट्ट की सुनवाई में हुआ सनसनीखेज खुलासा
- बड़ी गड़बड़ी की आशंका के चलते आयोग ने शासन को अवगत कराया
देहरादून। नगर निगम देहरादून के कार्मिकों की एक बड़ी लापरवाही सामने आयी है। निगम के कार्यालय की हजारों फाइलें गायब हैं। राज्य सूचना आयोग ने अभिलेखों के गायब होने को गंभीरता से लेते हुए छह माह जब गायब पत्रावलियों का विवरण मांगा तो इसका खुलासा हुआ है।
सूचना आयुक्त योगेश भट्ट के निर्देश पर छह माह में तैयार की गयी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वर्ष 1989 से 2022 तक नगर निगम की 13 हजार 743 पत्रावलियां गायब हैं। भट्ट ने इतनी बड़ी संख्या में पत्रावलियों के गायब होने को गंभीरता से लेने की जरूरत बताते हुए संपूर्ण प्रकरण शासन को संदर्भित कर दिया है। आयोग ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है कि इतनी बड़ी संख्या में पत्रावलियां गायब होने के लिए कोई जवाबदेह नहीं है।
आयोग ने साथ ही आशंका जताई है कि पत्रावलियां गायब होने के पीछे कोई बड़ा राज है जिसे गिरोहबंद अथवा सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया। आयोग ने अपने निर्णय में मुख्य नगर आयुक्त देहरादून को गायब पत्रावलियों की स्थिति अद्यतन करते हुए नगर निगम में अभिलेखों के रखरखाव एवं संरक्षण की व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं।
तरुण गुप्ता की एक अपील के बाद इस मामले का खुलाशा हुआ है।
नगर निगम ने जब फाइल उपलब्ध नहीं करायी तो आयोग ने अन्य अपीलों का संज्ञान लेते हुए गायब पत्रावलियों का ब्योरा तैयार करने को कहा। सुनवाई के दौरान प्राप्त व गायब पत्रावलियों की अंतरिम सूची का अंतिम सूची के साथ मिलान करने पर गायब फाइलों की यह संख्या सामने आयी।
सूची में इतने बड़े अंतर का कारण स्पष्ट करते हुए डीम्ड लोक सूचना अधिकारी धर्मेश पैन्यूली (कर अधीक्षक) द्वारा अवगत कराया कि पूर्व में नगर निगम अभिलेखागार में पत्रावलियां वर्षवार नहीं थी अभिलेखागार में उपलब्ध पत्रावलियों की वर्षवार छटनी करते हुए उच्चतम क्रमांक की उपलब्ध पत्रावली को आधार बनाकर पत्रावलियों की गणना की गयी। इसी कारण अंतिम सूची तैयार होने में अंतर रहा है।
स्पष्ट है कि नगर निगम के बीते ढाई दशकों के अभिलेखों में 137४3 पत्रावलियां गायब हैं। आयोग के निर्देश पर अनुपलब्ध गायब पत्रावलियों का क्रमांक वार विवरण तैयार हो गया है, जिसकी प्रति सहायक नगर आयुक्त द्वारा आयोग को भी उपलब्ध कराई गई है। गायब फाइलों के बारे में निगम के अधिकारियों का कथन है कि यह अंतिम आंकड़ा है तथा इसमें पांच फीसदी से अधिक अंतर की संभावना नहीं है।
आयोग ने इस जानकारी के बाद लोक सूचना अधिकारी उप नगर आयुक्त को निर्देश दिया है कि आयोग के समक्ष प्रस्तुत गायब अनुपलब्ध पत्रावलियों की रिपोर्ट को अग्रिम कार्यवाही के लिए मुख्य नगर आयुक्त के समक्ष आयोग के आदेश के साथ प्रस्तुत किया जाए। आयोग ने यह मामला सचिव, शहरी विभाग एवं निदेशक, शहरी विकास को संदर्भित किया है।