समान नागरिक संहिता : मातृशक्ति की समानता के लिए अवसर: दीप्ती रावत

देहरादून। एक सार्वभौमिक सिविल संहिता का उद्देश्य सभी धर्मों को एक ही कानूनी ढांचे में लाकर हर नागरिक के साथ समान व्यवहार करना है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत शामिल हमारे नीति निदेशक तत्वों के सफल क्रियान्वयन का एक और उदाहरण आज उत्तराखंड सरकार द्वारा सफलतापूर्वक पेश किया गया है । एक राष्ट्र के अंर्तगत एक विधान की मूल प्रेरणा से प्रस्तुत यूनिफॉर्म सिविल कोड राष्ट्रीय एकीकरण और समानता आधारित राष्ट्र की और बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करेगा। विवाह , उत्तराधिकार, और पारिवारिक सम्पत्ति में समान अधिकारों की गारंटी प्रदान करने वाले यूनिफॉर्म सिविल कोड की प्रस्तावना भारतीय जनता पार्टी के मुख्य कार्यबिंदुओं में से एक प्रमुख बिंदु हमेशा रही है। प्रस्तुत यूनिफॉर्म सिविल कोड भरण-पोषण, विरासत और बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया में समान कानून के प्रवर्तन का भी प्रावधान करती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन से हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने पूरे देश के सामने एक मिसाल पेश की है। लगभग 14 महीने की कड़ी मेहनत और लगभग 20 लाख जनों के सुझावों से बनी यह संहिता जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में निर्मित हुई है।

महिलाओं के दृष्टिकोण से तो समान नागरिक संहिता उनके अधिकारों और उनकी सुरुक्षा का एक घोषणा पत्र है । लिव इन रिप्लेशनशिप की कोई कानूनी मान्यता न होने से अनेक स्त्रियों को आज शोषण का शिकार होना पड़ता था। वर्तमान समान नागरिक संहिता अनिवार्य रजिस्ट्रेशन जैसे प्रावधानों से मातृ शक्ति की रक्षा करती है । धर्म के आधार पर भेदभाव को खत्म करती यह संहिता उत्तराधिकार में महिलाओं को बराबर का हक प्रदान करती है। धर्म से विलग मातृशक्ति के लिए विवाह की आयु 21 वर्ष यह संहिता निर्धारित करती है। बहु विवाह और तलाक जैसे विषयों पर भी स्त्री पक्ष के प्रति यह संहिता चिंतित दिखती है। धार्मिक कानूनों के दुरुपयोग को भी यह संहिता प्रतिबंधित करती है। प्रायः इनका फायदा उठाकर व्यक्ति महिलाओं का शोषण करते हैं।

ऐसे में मातृशक्ति के विकास और इस दशक को मातृशक्ति का दशक बनाने के प्रयासों को प्रस्तुत संहिता मजबूत करती नजर आती है। हमारे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का इस ऐतिहासिक कदम के लिए जितना भी आभार प्रकट किया जाए वह कम ही होगा। मुझे उम्मीद है भारत के अन्य राज्य भी इस ऐतिहासिक कदम से प्रेरणा लेंगे और समानता आधारित राष्ट्र की संकल्पना में अपना सार्थक सहयोग प्रदान करेंगे ।

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