असम: दो अमेरिकी नागरिक 500 डॉलर के जुर्माने पर रिहा

शोणितपुर । असम के शोणितपुर जिला मुख्यालय तेजपुर शहर में प्रलोभन देकर ईसाई धर्म का प्रचार करने वाले दो अमेरिकी नागरिकों को 500 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगाकर रविवार को रिहा कर दिया गया। पर्यटक वीजा पर आये दोनों अमेरिकी नागरिकों को धर्म प्रचार गतिविधियों में शामिल रहने पर 3 फरवरी को हिरासत में लिया गया था।

पुलिस के अनुसार अमेरिकी नागरिक जॉन मैथ्यू बोन और माइकल जेम्स फ्लिन्चम ने ई-पासपोर्ट के साथ भारत में प्रवेश लिया, लेकिन यहां धार्मिक कार्यों में लग गए थे। उन पर पर्यटक वीजा पर आकर धर्म प्रचार गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। असम में प्रलोभन देकर ईसाई धर्म का प्रचार कर रहे दोनों अमेरिकी नागरिकों को एक गुप्त सूचना पर शोणितपुर पुलिस ने तेजपुर के बैपटिस्ट क्रिश्चियन अस्पताल से शनिवार को पकड़ा। इनके विरुद्ध तेजपुर के कछारीगांव थाना में एक मामला (जीडीई 03/24) दर्ज किया गया, जिसमें उन पर चर्च संगठन की ओर से आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने और भाषण देकर वीजा नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।

पुलिस ने हिरासत में लिए गए दोनों अमेरिकी नागरिकों को कुछ शर्तों पर रिहा करने से पहले 500 अमेरिकी डॉलर (भारतीय मुद्रा में 41,486 रुपये) का जुर्माना लगाया है। अधिकारियों ने घटना के बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय को जानकारी देने के साथ ही दोनों व्यक्तियों को धार्मिक कार्यों में शामिल होने के संबंध में चेतावनी जारी की है। दरअसल, अक्सर मिशनरी पर्यटक वीजा पर असम में प्रवेश करते हैं और बाद में चाय बागानों और आदिवासी क्षेत्रों में प्रचार गतिविधियों में संलग्न हो जाते हैं। आयोजकों की ओर से भी गोपनीयता बनाए रखने के कारण कई बार मामला दर्ज नहीं हो पाता है।

इससे पहले 29 अक्टूबर, 2022 को काजीरंगा में सात जर्मन मिशनरियों को वीजा मानदंडों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह, तीन स्वीडिश प्रचारकों को वीज़ा नियमों का उल्लंघन करने और प्रचार गतिविधियों में शामिल होने के लिए पिछले साल 26 अक्टूबर को डिब्रूगढ़ से निर्वासित किया गया था। जर्मन मिशनरियों ने अपनी गतिविधियों को तेजपुर तक विस्तारित करने के इरादे से तिनसुकिया, गोलाघाट और कार्बी-आंगलोंग जिलों में धार्मिक बैठकों में भाग लिया। यह जर्मन नागरिक भी पर्यटक वीज़ा पर थे, इसलिए ऐसी धार्मिक गतिविधियों में भाग लेना कानूनी रूप से प्रतिबंधित था।

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