डॉ. रवि शरण दीक्षित
राम नाम की शक्ति ने भारत मे सांस्कृतिक पुनर्जागरण का काम किया है। राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, लोककल्याणकारी और भारतीय अस्मिता के प्रतीक हैं। राम प्रणव अक्षर ओंकार (ॐ) समाए में त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के एकाकार हैं। विष्णु अवतार राम भारत के आराध्य हैं। भारत सनातन संस्कृति का देश है।
लगभग 500 वर्षों में बड़ी संख्या में आंदोलन हुए, इन आंदोलनों में असंख्य आहुतियां भी हुईl
1984 में सरयू नदी के तट पर संतों और विश्व हिंदू परिषद व अन्य धर्माचार्यों ने अयोध्या की राम जन्मभूमि में श्री राम का भव्य मंदिर बनाने का संकल्प लेकर राष्ट्रीय जनजागरण अभियान शुरू किया गया। संघर्ष समिति ने 1990 में कार सेवा और 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों द्वारा विवादित ढाँचा ध्वस्त कर अंतिम आंदोलन के संघर्ष को कोर्ट तक मामले को पहुंचाया। 9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय ने राम मंदिर का शिलान्यास, अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का आधार रखा l
22 जनवरी 2024 राम मंदिर की स्थापना और मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा, भारत में ही नहीं पूरे विश्व मे ऐतिहासिक घटना दिवस होने जा रहा है lइस आयोजन ने भारतीय संस्कृति की दशा और दिशा बदल दी। खुशियों का आसमान संपूर्ण परिवेश में देखने योग्य है। इस आयोजन को ऊंचाइयां देने में भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार की भूमिका महती है इस उत्सव को पूरा विश्व देखेगा इसी के साथ-साथ आने वाली श्रद्धालुओं की संख्या आने वाले महीना में करोड़ों में होने जा रही है यह भी पूरे विश्व के लिए एक नया कीर्तिमान भी होगा तथा विश्व गुरु के रूप में स्थापित होने मे भारतीय संस्कृति का प्रचार, 21वीं शताब्दी में इस ऐतिहासिक घटना क्रम से स्थापित होगा l जिसे आदिगुरु शंकराचार्य और स्वामी विवेकानंद ने जिस तरह भारत को सांस्कृतिक नेतृत्व दिया यह दिन नव भारत का प्रस्थान बिंदु आधार बनेगा l भारतीय संस्कृति आज विश्व की प्राचीनतम संस्कृति के रूप में विद्यमान है।
भारत के रामस्नेही युगों तक सनातन के पुरुषोत्तम श्री राम के आदर्शों से प्रेरणा लेते रहेंगे, पर इन सब गतिविधियों में एक और पक्ष बहुत महत्वपूर्ण है,कि हम इस उत्सव को मानते हुए भगवान राम के मर्यादा पुरुषोत्तम के आदर्शो से बेहतर, समाज के लिए,देश के लिए करने का भी संकल्प ले l यह वास्तव में राम राज्य के लिए एक बड़ा कदम होगा l