राम नाम की गूंज

नई पहचान बनाने को बेताब राम नगरी अयोध्या
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक पर विकसित होने वाला अयोध्या पहला शहर
श्री राम जी का मंदिर नफरत नहीं, बल्कि भाईचारे का प्रतीक

-ममता सिंह, कार्यकारी संपादक।

चहुंओर राम नाम की गूंज है। भला हो भी क्यों ना! राम तो हमारे आदर्श हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की। अलौकिक अयोध्या नगरी ( Ayodhya City)की। अयोध्या में विकास की जो नींव रखी गई है, वाकई वह अतुलनीय है। अयोध्या में करीब 60,000 करोड़ की धनराशि के निवेश से आने वाले दिनों में लगभग 16 लाख लोग रोजगार सृजित होंगे। खास बात यह है कि अवधपुरी के चहुंमुखी विकास के लिए 8 परिकल्पनाओं के आधार पर कार्य हो रहे हैं। इसके इतर 4403 करोड़ की लागत से 147.2 किलोमीटर लंबे ‘राम वन गमन पथ’ ( Ram Van Gaman Path) का निर्माण कार्य भी युद्ध स्तर पर है। हमें यह नहीं भूल चाहिए कि अयोध्या में कई ऐतिहासिक काम हुए हैं और कुछ हो रहे हैं। आपको बता दें कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक पर विकसित होना वाला अयोध्या पहला शहर है। भव्य दीपोत्सव का आयोजन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज है। इतना ही नहीं, स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर स्मृति चैक का विकास तथा पावन 84 कोसी परिक्रमा राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित भी किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी मानना है कि अयोध्या का विकास इस तरह से होना चाहिए कि आने वाली पीढ़ियां जीवन में कम से कम एक बार अयोध्या जरूर आने की सोचें। यह सच है कि अयोध्या में राम मंदिर का भव्य निर्माण हो चुका है।
मंदिर की सुरक्षा को देखते हुए 20 से 22 जनवरी तक आम लोगों के लिए भगवान राम के दर्शन नहीं हो सकेंगे। 23 जनवरी से पूरे देश के लिए सबकुछ अविस्मरणीय होगा।
किसी भी व्यक्ति को अब अतीत में झांकने की आवश्कता नहीं होनी चाहिए। अब तो अयोध्या के विकास को लेकर सरकार की जो भी योजनाएं बनी हैं, उनको सही दिशा में क्रियान्वित कराना ही प्राथमिकताएं होनी चाहिए। समय के साथ यदि अयोध्या की तस्वीर खूबसूरत होने के साथ रोजगार से भी जुड़ गई है तो इसमें किसी को भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए। खुशहाली आनी चाहिए। हां, गांव से आए या शहर से। इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। यह तो सच है कि अयोध्या नगरी के विकसित होने से लाभ सभी को है। कम से कम धार्मिक पर्यटन तो बढ़ेगा ही। इससे सभी को फायदा है। कारोबार हिन्दू-मुस्लिम नहीं देखता है। श्रीराम ने भी नहीं देखा। तभी तो राम आज घर घर में पूजनीय हैं। याद रहे, श्रीराम एक व्यक्ति का नाम नहीं है बल्कि एक विचारधारा हैं।
अब विचारधारा क्या होती है, यह सभी समझते हैं। इसकी व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह सर्वविदित है। लेकिन कट्टरता से परहेज करने की जरूरत है। इससे फायदा किसी को नहीं है। बस, आगे बढ़ना है। यह नहीं देखना है कि लाभ किसको मिल रहा है। क्योंकि सभी इंसान हैं। साथ ही, हाड़-मांस से बने हुए हैं। श्री राम जी का मंदिर नफरत नहीं, बल्कि भाईचारे का पैगाम देता है बस, नजरों का ही तो फर्क है। राम को समझने और उन पर हुए शोध पर अध्ययन की जरूरत है। राम को कुशल राजा के रूप में भी देखिए। प्रजा किस तरह से संतुष्ट थी। उनकी न्याय प्रणाली को भी समझिए। भाई, पिता और पति के उस आदर्श रूप को भी देखिए। हां, यह तभी संभव है जब आप राम के पूर्ण स्वरूप का अध्ययन कीजिएगा।
राम ऐसे विचारधारा का नाम है जो कठिनाइयों में भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। हां, संकल्प को पूरा करने में भी यकीन रखते हैं। भेदभाव में यकीन नहीं करते। राम से सबक आम आदमी ही नहीं, पक्ष-विपक्ष को भी लेने की जरूरत है। श्रीराम के विचारों को समझिए। गुणों को अपनाइए। निश्चित रूप से जीवन में नवीनता दिखेगी। लेकिन हो सके तो अंधविश्वास से दूर रहिए। कट्टरता को त्यागिए। किसी के बहकावे में मत आइए। निश्चित रूप से सुख, शांति और खुशहाली आएगी।

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