इंदौर। पार्किंग रसीद के जरिए ही एक वाहन स्वामी को कोर्ट से हर्जाना मिला है।वाहन स्वामी ने उपभोक्ता फोरम में केस किया था।
इंदौर के गांधी हाल की पार्किंग में 27 सितंबर 2016 को दोपहर करीब 1 बजे बृजेश सिंह पिता शिवनाथ सिंह परिहार (44) निवासी गोविंद कॉलोनी ने अपनी बाइक एमपी-09 एनपी 3279 खड़ी की थी। यहां पार्किंग शुल्क के 5 रुपये दिए और जिला कोर्ट में पेशी पर चले गए। वापस लौटे तो बाइक मौके पर नहीं थी। पार्किंग ठेकेदार से पूछा तो उसने कहा कि पुलिस थाने में वाहन चोरी की रिपोर्ट लिखा दो। बृजेश ने एमजी रोड थाने पर बाइक चोरी की रिपोर्ट लिखा दी। पुलिस ने दो साल बाद 2018 में वाहन नहीं मिलने की स्थिति में मामले में खात्मा लगा दिया।
2019 में लिया फोरम की शरण
इस पर बृजेश ने पार्किंग ठेकेदार त्रिलोकी सिलावट निवासी कलाली मोहल्ला और लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में जनवरी 2019 में केस लगा दिया। चूंकि, गांधी हाल परिसर लोक निर्माण विभाग के स्वामित्व का है, जिसका रखरखाव और स्टैंड की जिम्मेदारी कार्यपालन यंत्री की है। इसलिए उन्हें भी पार्टी बनाया गया।
सुरक्षा सेवा में कमी माना
फोरम में केस दर्ज होने के बाद चार साल सुनवाई चली, जिसमें फोरम ने माना कि गाड़ी मालिक बृजेश सिंह के वाहन की सुरक्षा की जिम्मेदारी ठेकेदार और कार्यपालन यंत्री की थी, लेकिन उन्होंने वाहन की सुरक्षा में चूक की है। 5 रुपये का शुल्क लेकर वाहन की सुरक्षा न करके सेवा में कमी की है। वहीं, बृजेश सिंह के द्वारा दिए गए एफिडेविट और दस्तावेजों का कोई खंडन भी आरोपी पक्ष की ओर से नहीं किया गया। ऐसे में बताए गए तथ्यों पर भरोसा नहीं करने का सवाल ही नहीं उठता।
यह थी मांग, यह मिला
गाड़ी मालिक बृजेश सिंह ने वाहन की कीमत 49 हजार रुपये और मानसिक त्रास के लिए 20 हजार रुपये दिलवाने की मांग फोरम से की थी, लेकिन गाड़ी की कीमत 49 हजार रुपये साबित करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किए गए। गाड़ी 2012 की है. लगभग 4 साल बाद गाड़ी की कीमत में कमी आना स्वाभाविक है। ऐसे में वाहन नुकसानी के 30 हजार रुपये दिलवाए जाना सही माना गया।