नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने सोमवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी( BJP) की सरकार भारतीय कुश्ती महासंघ ( WFI ) को भंग करने की झूठी खबर प्रसारित कर रही है ताकि भ्रम फैलाकर यौन शोषण के आरोपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह को बचाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि कुश्ती महासंघ की गतिविधियां सिर्फ रोकी गई हैं ताकि भ्रम फैलाया जा सके।
प्रियंका गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भाजपा सरकार कुश्ती संघ को भंग करने की झूठी खबर फैला रही है। कुश्ती संघ को भंग नहीं किया गया है, सिर्फ उसकी गतिविधियों को रोका गया है ताकि भ्रम फैलाकर आरोपी को बचाया जा सके। एक पीड़ित महिला की आवाज दबाने के लिए इस स्तर पर जाना पड़ रहा है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश को गौरवान्वित करने वाली नामचीन खिलाड़ियों ने भाजपा सांसद पर यौन शोषण का आरोप लगाया तो सरकार आरोपी के साथ खड़ी हो गई। पीड़िताओं को प्रताड़ित और आरोपी को पुरस्कृत किया। प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) और गृह मंत्री (अमित शाह) के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। महिला पहलवानों से आंदोलन वापस लेने के एवज में दिये गये आश्वासन को गृह मंत्री भूल गए।’’
प्रियंका गांधी ने कहा, ‘‘अहंकार की पराकाष्ठा यह कि जिस भाजपा सांसद पर महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण का आरोप है, उसने खुद ये भी फैसला करवा लिया कि अगला नेशनल गेम उसी के जिले में, उसी के कॉलेज के मैदान पर खेला जाएगा। इस अंधेरगर्दी और अन्याय से हारकर ओलंपिक विजेता साक्षी मलिक ने कुश्ती ही छोड़ दी, खिलाड़ी अपने पुरस्कार वापस करने लगे तो सरकार अफवाह फैला रही है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि जहां भी किसी महिला पर अत्याचार होता है, यह सरकार अपनी पूरी सत्ता की ताकत के साथ आरोपी को बचाती है और पीड़ित को ही प्रताड़ित करती है। कांग्रेस महासचिव ने दावा किया, ‘‘आज हर क्षेत्र में महिला नेतृत्व की बात होती है लेकिन सत्ता में बैठे लोग ही आगे बढ़ रही महिलाओं को प्रताड़ित करने, दबाने और हतोत्साहित करने में लगे हैं। देश की जनता, देश की महिलाएं यह सब देख रही हैं।’’
खेल मंत्रालय ने गत रविवार को भारतीय कुश्ती महासंघ को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया क्योंकि नवनिर्वाचित संस्था ने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया और पहलवानों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिए बिना अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन की ‘जल्दबाजी में घोषणा’ कर दी।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि नई संस्था ‘पूरी तरह से पूर्व पदाधिकारियों के नियंत्रण’ में काम कर रही थी जो राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुरूप नहीं है। डब्ल्यूएफआई के चुनाव 21 दिसंबर को हुए थे जिसमें पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र संजय सिंह और उनके पैनल ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी।