नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती संघ में पिछले कुछ दिनों से जो बवाल चल रहा है। हाल ही में भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव संपन्न हुए थे, जिसमें संजय सिंह अध्यक्ष चुने गए थे। लेकिन, अब भारत सरकार ने भारतीय कुश्ती संघ को सस्पेंड कर दिया। साथ ही WFI अध्यक्ष संजय सिंह की मान्यता रद्द कर दी गई है। सरकार का कहना है कि ये चुनाव नियमों के खिलाफ हैं और पुरानी बॉडी के प्रभाव में दिखाई पड़ते हैं।
खेल मंत्रालय ने यह बड़ा फैसला ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक के सन्यास लेने और बजरंग पुनिया का पद्मश्री वापस सम्मान वापस लेने के बाद उठाया है। खेल मंत्रालय ने कुश्ती संघ को रद्द करते हुए संजय सिंह द्वारा लिए गए सभी फैसलों पर भी रोक लगा दी है। इसके साथ ही अगले आदेश तक सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी है। वहीं खेल मंत्रालय के एक्शन पर बजरंग पूनिया ने कहा कि मुझे अभी तक इसके बारे में जानकारी नहीं है। अगर ये फैसला लिया गया है तो बिलकुल ठीक लिाय गया है। जो हमारी बहन बेटियों के साथ हो रहा है। ऐसे लोगों का सभी फेडरेशन से सफाया होना चाहिए।
खेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, नए निकाय ने डब्ल्यूएफआई संविधान का पालन नहीं किया। हमने महासंघ को बर्खास्त नहीं किया है बल्कि अगले आदेश तक निलंबित किया है। उन्हें बस उचित प्रक्रिया और नियमों का पालन करने की जरूरत है। सूत्र ने निलंबन के कारणों के बारे में बताते हुए कहा, डब्ल्यूएफआई के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने 21 दिसंबर 2023 को अध्यक्ष चुने जाने के दिन ही घोषणा की कि कुश्ती के लिए अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप साल खत्म होने से पहले ही उत्तर प्रदेश के गोंडा के नंदिनी नगर में होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘यह घोषणा जल्दबाजी में की गई है। उन पहलवानों को पर्याप्त सूचना दिए बिना जिन्हें उक्त राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना है। डब्ल्यूएफआई के संविधान के प्रावधानों का पालन भी नहीं किया गया।मंत्रालय के सूत्र ने कहा, ‘‘डब्ल्यूएफआई के संविधान की प्रस्तावना के नियम 3 (ई) के अनुसार, डब्ल्यूएफआई का उद्देश्य अन्य बातों के अलावा कार्यकारी समिति द्वारा चयनित स्थानों पर यूडब्ल्यूडब्ल्यू (यूनाईटेड वर्ल्ड रेस्लिंग) के नियमों के अनुसार सीनियर, जूनियर और सब जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप आयोजित करने की व्यवस्था करना है।