आप विधायक चैतर वसावा ने पुलिस के समक्ष किया आत्मसमर्पण

देडियापाड़ा। वन विभाग के कर्मियों को कथित तौर पर धमकाने और हवाई फायरिंग करने के मामले में महीने भर से अधिक समय से फरार गुजरात के आम आदमी पार्टी (Aap) के विधायक चैतर वसावा ने नर्मदा जिले के देडियापाड़ा कस्बे में पुलिस (Poolice) के समक्ष बृहस्पतिवार को आत्मसमर्पण कर दिया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

वसावा आप कार्यालय से जुलूस का नेतृत्व करने के बाद अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ देडियापाड़ा पुलिस थाने पहुंचे। उनके जुलूस के कुछ वीडियो उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर भी साझा किये हैं। उनके आत्मसमर्पण के बाद उन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस उपाधीक्षक घनश्याम सरवैया ने बताया कि उनके साथ तीन अन्य आरोपियों ने भी आत्मसमर्पण कर दिया।

पुलिस उपाधीक्षक ने कहा, ‘‘दो नवंबर को अपने खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से वसावा फरार थे। तीन अन्य आरोपी भी फरार थे, जिन्होंने वसावा के साथ आज हमारे सामने आत्मसमर्पण कर दिया। हमने उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया है और उन्हें निर्धारित समय सीमा के अंदर अदालत में पेश किया जाएगा।’’ वसावा की पत्नी शकुंतला, उनके निजी सहायक जीतेंद्र वसावा के साथ किसान रमेशभाई को मामला दर्ज होने के बाद पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था और वे अब भी जेल में हैं।

जनजातीय समुदाय के नेता वसावा देडियापाड़ा विधानसभा क्षेत्र (अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित) का प्रतिनिधित्व करते हैं और विधानसभा में आप के विधायक दल के नेता हैं। वह आप की केंद्रीय गुजरात इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। अपने आत्मसमर्पण से पहले बृहस्पतिवार को जारी एक वीडियो में वसावा ने दावा किया कि साजिश के तहत एक झूठे मामले में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

वसावा और छह अन्य लोगों के खिलाफ पिछले महीने दंगा, जबरन वसूली और सरकारी अधिकारियों पर हमला करने से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा के तहत मामला दर्ज किया गया था। राज्य वन विभाग के कर्मियों के साथ झड़प के बाद विधायक के खिलाफ शस्त्र अधिनियम के प्रावधान के तहत भी मामला दर्ज किया गया।

विधायक ने वन विभाग के कर्मियों को वन भूमि पर अतिक्रमण के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए डेडियापाड़ा शहर में स्थित अपने आवास पर बुलाया था और इसी दौरान उनकी उनसे झड़प हो गई। नर्मदा जिले के पुलिस अधीक्षक प्रशांत सुंबे ने पिछले महीने कहा था कि वन विभाग ने निजी व्यक्तियों द्वारा खेती के लिए वन भूमि का इस्तेमाल किये जाने पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच विवाद पैदा हो गया।

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