श्रीनगर/जम्मू। अनुच्छेद 370 ( Article 370) को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में पुनर्गठित करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखने के उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के फैसले के बाद सोमवार को पूरे जम्मू में जश्न मनाया गया तथा श्रीनगर और कश्मीर घाटी के अन्य जिला मुख्यालयों में जन-जीवन सामान्य रहा।
श्रीनगर और अन्य जगहों पर दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान सामान्य रूप से खुले और सार्वजनिक परिवहन भी सामान्य नजर आया, जो 5 अगस्त, 2019 के उलट था, जब केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने का कदम उठाया तो कश्मीर में सन्नाटा पसरा था। शीतकालीन राजधानी जम्मू में सोमवार को दृश्य अलग थे जब कई संगठनों ने शीर्ष अदालत के फैसले का जश्न मनाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए और इसे एक महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में सराहा।उच्चतम न्यायालय ने पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा और केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू कश्मीर) का राज्य का दर्जा ‘‘जल्द से जल्द’’ बहाल किए जाने एवं अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया।
ग्रीष्मकालीन राजधानी में, निगम कर्मचारी सुबह अपने काम पर जाते देखे गए और सैलानी लाल चौक पर तस्वीरें लेने में व्यस्त थे, जहां श्रीनगर और जम्मू के बीच चलने वाली टैक्सियां पर्यटक स्वागत केंद्र पर कतार में खड़ी थीं। रेजीडेंसी रोड के किनारे दुकान मालिक आम दिनों की तरह अपने व्यवसाय में मशगूल थे, इस तथ्य से बेपरवाह कि देश की शीर्ष अदालत अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला देने वाली है।
व्यापारी मुंतजिर मुजामिल ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुना दिया है। अब इस पर बहस करने का कोई मतलब नहीं है। पिछले 35 वर्षों से कश्मीर ने केवल हिंसा देखी है…अब, हमें उम्मीद है कि कश्मीर में विकास की गति तेज होगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘स्थिति शांतिपूर्ण रहनी चाहिए। आम आदमी और क्या उम्मीद कर सकता है? हमें अपने भविष्य के बारे में सोचना होगा। जो होना था, वह हो गया, अब इसे पूर्ववत नहीं किया जा सकता।’’
हालांकि, सुबह सड़कों पर काफी सुरक्षाकर्मी मौजूद थे, लेकिन संख्या इतनी अधिक नहीं थी कि कोई आशंका पैदा हो। लोगों की आवाजाही को रोकने के लिए सड़कों पर कोई कंटीले तार या विशेष अवरोधक नहीं लगाए गए थे। जम्मू में, डोगरा फ्रंट शिव सेना (डीएफएसएस), राष्ट्रीय बजरंग दल और ‘वेस्ट पाकिस्तान रिफ्यूजी’ जैसे संगठनों ने शीर्ष अदालत के फैसले का जश्न मनाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए।