छत्तीसगढ़ : BJP को पांच साल बाद सत्ता तक पहुंचाया हिंदुत्व कार्ड

रायपुर। छत्तीसगढ़ में जनता से किए गए वादे, महादेव सट्टेबाजी ऐप मुद्दा और हिंदुत्व कार्ड उन प्रमुख कारकों में से हैं, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी को पांच साल बाद सत्ता तक पहुंचाया है। 2000 में राज्य के गठन के बाद पहली बार भाजपा ( BJP) ने 50 सीटों का आंकड़ा पार किया है। कांग्रेस (Congress) इस चुनाव में अपने 2018 के प्रदर्शन को दोहराने में विफल रही। पिछले चुनाव में पार्टी ने 90 में से 68 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार उसे केवल 35 सीटें मिलीं।

रविवार को नतीजे घोषित होने के बाद भाजपा ने 90 सदस्यीय विधानसभा में अपनी सीटों की संख्या 15 से बढ़ाकर 54 कर कांग्रेस को मामूली बढ़त देने वाले एग्जिट पोल को गलत साबित कर दिया। कांग्रेस के प्रति जनता की नाराजगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भूपेश बघेल कैबिनेट के 13 में से नौ मंत्री अपनी सीट नहीं बचा सके। बघेल (पाटन निर्वाचन क्षेत्र) तथा उनके मंत्री कवासी लखमा (कोंटा), उमेश पटेल (खरसिया) और अनिला भेड़िया (डौंडीलोहारा) ही भाजपा की लहर का सामना करने में कामयाब रहे।
छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत ने अपनी सक्ती सीट जीत ली है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज चित्रकोट से हार गए। भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह राजनांदगांव से चुनाव जीत गए हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और सांसद अरुण साव ने लोरमी सीट जीत ली है तथा पत्थलगांव सीट पर एक अन्य सांसद गोमती साय भी विजयी हुईं। केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह ने भरतपुर-सोनहत से तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय ने कुनकुरी सीट जीत ली है।

भाजपा के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल (रायपुर शहर दक्षिण), अजय चंद्राकर (कुरुद), पुन्नूलाल मोहिले (मुंगेली), अमर अग्रवाल (बिलासपुर), दयालदास बघेल (नवागढ़) और राजेश मूणत (रायपुर शहर पश्चिम) ने भी जीत हासिल की है। पूर्व आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी और नीलकंठ टेकाम भी अपनी अपनी सीट जीतने में सफल हुए हैं। कांग्रेस ने चुनाव प्रचार में बघेल सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए दावा किया था कि सरकार ने इस योजनाओं पर 1.75 लाख करोड़ रुपये खर्च किये हैं। पार्टी ने छत्तीसगढ़ी अस्मिता के मुद्दे पर भी जोर दिया और भूपेश बघेल को माटी पुत्र के रूप में पेश किया। भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही चुनाव का प्रमुख चेहरा थे। उन्होंने जुलाई माह से ही राज्य का दौरा शुरू कर दिया और उनकी सभाओं में भारी भीड़ उमड़ी।

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