नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ( Supreme Court)ने केरल विधानसभा से पारित विधेयकों को मंजूरी देने में अनिश्चितकालीन देरी मामले में सोमवार को वहां के (Kerala Governor) राज्यपाल कार्यालय और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने केरल सरकार की ओर से दायर रिट याचिका पर केंद्र सरकार और राज्यपाल के प्रधान सचिव को जवाब-तलब किया।
पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से भी अदालत की सहायता करने को कहा। केरल सरकार ने यह आरोप लगाते हुए एक याचिका दायर की थी कि राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में अनिश्चितकालीन की देरी कर रहे हैं। केरल सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील के के वेणुगोपाल ने पीठ के समक्ष कहा कि आठ विधेयकों में से कुछ सात महीने से और कुछ तीन साल से लंबित हैं। शीर्ष अदालत इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को करेगी।
गौरतलब है कि इस मामले पर पंजाब और तमिलनाडु के बाद केरल शीर्ष अदालत में रिट याचिका दायर करने वाला तीसरा विपक्षी शासित राज्य है। तेलंगाना सरकार ने भी अप्रैल में इसी तरह की याचिका दायर की थी। अपनी याचिका में केरल सरकार ने यह घोषणा करने की मांग शीर्ष अदालत से की कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत विवेकाधीन शक्ति का प्रयोग किए बिना विधेयकों को अनिश्चितकाल तक रोकने का राज्यपाल का कदम सरकार और लोकतांत्रिक संविधानवाद और संघवाद के सिद्धांत के खिलाफ है। याचिका में कहा गया है कि राज्य विधानसभा द्वारा पारित और संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत उनकी सहमति के लिए राज्यपाल को प्रस्तुत किए गए आठ विधेयक लंबित थे। इनमें से तीन विधेयक दो साल से अधिक समय से लंबित हैं, जबकि तीन पूरे एक वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं।