एनसीईआरटी ( NCERT) पैनल ने सभी पाठ्यपुस्तकों में देश का नाम ‘इंडिया’ से बदलकर ‘भारत’ करने की सिफारिश की है। बीते बुधवार को जो जानकारी सामने आई उस पर तृणमूल नेता ममता बनर्जी ( Mamata Banerjee) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में ममता ने कहा कि अचानक सर्कुलर भेजकर भारत ( India)का नाम काटने की बात कही जा रही है। इतना डर क्यों? एक नाम में 10 बातें हो सकती हैं। अशोक स्तंभ का प्रयोग हर कोई करता है। समस्या क्या है? उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी का जिक्र करते हुए आगे कहा कि बीजेपी मोहम्मद बिन तुगलक की तरह हो गई जो कि इतिहास बदलना चाहती है।
ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी कहती है कि वो सबका साथ सबका विकास चाहती है। लेकिन वास्तव में इसका मतलब सबका साथ सबका सत्यानाश है। उन्होंने कहा कि विश्वभारती टैगोर की देन है। फिर भी विश्वविद्यालय को यूनेस्को विरासत का दर्जा मिलने पर पट्टिकाओं में उनका कोई उल्लेख नहीं है। बीजेपी नेता दिलीप घोष ने कहा कि वह 200 साल का इतिहास जानते हैं, हम 5000 साल का इतिहास जानते हैं। कलकत्ता कोलकाता हो गया, गोहाटी गुवाहाटी हो गया, नाम बदलने में क्या ग़लत है? भारत बन गया इंडिया अब इंडिया बन रहा है भारत।
हाल ही में नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग के निदेशक ने कहा कि कई महीने पहले एनसीईआरटी के पैनल ने इस तरह का प्रस्ताव लिखा था और हमें एक रिपोर्ट भेजी थी. हमने अभी तक कुछ भी तय नहीं किया है। एनसीईआरटी की सभी पाठ्यपुस्तकों में इंडिया का नाम बदलकर भारत करने की मीडिया रिपोर्टों पर एनसीईआरटी का कहना है कि चूंकि नए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों का विकास प्रक्रिया में है और उस उद्देश्य के लिए एनसीईआरटी द्वारा डोमेन विशेषज्ञों के विभिन्न पाठ्यचर्या क्षेत्र समूहों को अधिसूचित किया जा रहा है। इसलिए, संबंधित मुद्दे पर मीडिया में चल रही खबरों पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। एनसीईआरटी पैनल की सिफारिश इस बहस की पृष्ठभूमि में आई है कि क्या देश का नाम बदलकर ‘भारत’ रखा जाएगा। ये इस साल की शुरुआत में तब शुरू हुआ जब केंद्र ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित जी20 डिनर के निमंत्रण को प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के बजाय भारत के राष्ट्रपति के नाम से भेजा गया। जिसके बाद एक राजनीतिक विवाद शुरू हो गया।