बंटने लगे दायित्व

भाजपा के अंदर गुटबाजी चरम पर है। दायित्व आवंटन में हर गुट को संतुष्ट नहीं किया गया तो नाराजगी बढ़ेगी ही। मौजूदा  जिन 10  कार्यकर्ताओं  को दायित्व से नवाजा गया हैं,ये सभी पार्टी के सीनियर नेता हैं, इसको लेकर पार्टी के अंदर ज्यादा  हड़कंप नहीं मचेगा 

रणविजय सिंह

उत्तराखंड (Uttarakhand) सरकार ने भाजपा (BJP) कार्यकर्ताओं को दायित्व बांटना शुरू कर दिया है, हालांकि जिस तरह से महीनों से दायित्व आवंटन को लेकर जोरों से चर्चा थी कि सैकड़ों  कार्यकर्ताओं को दायित्व आवंटित (Allocation of liability) किए जाएंगे लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। ऐसी स्थिति में उन  कार्यकर्ताओं को घोर निराशा हुई  है जो लंबे समय से दायित्व के इंतजार में थे। स्वाभाविक है कि जिन कार्यकर्ताओं को उम्मीदें थी उनमें निश्चित रूप से नाराजगी बढ़ी है। सामने चुनाव भी है, इसलिए भाजपा के शीर्ष नेताओं को अलर्ट होकर भविष्य में दायित्व आवंटन (displeasure)की रणनीति अपनानी चाहिए।  चुनाव के समय किसी मुद्दे पर  कार्यकर्ताओं की नाराजगी या फिर अवकाश पर चले जाने की घटना ठीक नहीं है, इसका असर चुनाव पर पड़ता है।

सरकार ने जिन भाजपा  कार्यकर्ताओं को दायित्व से नवाजा है,वे इसके हकदार भी हैं। अभी10 कार्यकर्ताओं  को सरकार की ओर से दायित्व दिए गए हैं। ये सभी भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता हैं। जिन 10  वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ताओं को दायित्व दिए गए हैं उनमें बलराज पासी, मधु भट्ट और सुरेश भट्ट जैसे वरिष्ठ भाजपा नेता शामिल है। हालांकि इन नेताओं को तत्कालीन भाजपा की सरकारों ने भी दायित्व बांटे हैं। ये कोई नए चेहरे नहीं हैं। सब पुराने ही हैं।

दरअसल सरकार को चाहिए था कि वह  नये और युवा चेहरों को प्रोत्साहित करे। भाजपा हाईकमान की भी शुरू से यही मंशा रही है कि ज्यादा से ज्यादा युवा चेहरों को आगे बढ़ाया जाए।  संभव है कि उत्तराखंड भाजपा इस दिशा में भविष्य में भी कार्य करे।

यह बात सर्वविदित है कि भाजपा के अंदर गुटबाजी (Factionalism)चरम पर है। दायित्व आवंटन में हर गुट को संतुष्ट नहीं किया गया तो नाराजगी बढ़ेगी ही। मौजूदा  जिन 10  कार्यकर्ताओं  को दायित्व से नवाजा गया हैं, ये सभी पार्टी के सीनियर नेता हैं, इसको लेकर पार्टी के अंदर ज्यादा  हड़कंप नही मचेगा।  संभव है कि भाजपा हाईकमान ने खास रणनीति के तहत इस तरह का प्लान हो। लेकिन यह बात अब समझ में आ गई  है कि अब निकट भविष्य में थोक भाव से दायित्व बांटे जाएंगे।

असल में लोकसभा चुनाव नजदीक है। भाजपा के लिए यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण है। इसलिए  भाजपा मौजूदा हालात में सबको  खुश रखने की मंशा से काम कर रही है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो आगामी चुनाव के मद्देनजर भाजपा  कार्यकर्ताओं  में बढ़ रहे असंतोष को हर हाल में दूर करना चाहती है।

दायित्व आवंटन की शुरूआत को इसी क्रम में देखा जा रहा है। जानकारी के मुताबिक एक दर्जन से ज्यादा बार दायित्व आवंटन की सूची में परिवर्तन किया गया है ताकि भाजपा के हर गुट के नेताओं के नजदीकी लोगों को शामिल किया जा सके। कुल 188 नामों की सूची बनी है जिसमें मात्र 10 नामों पर ही मुहर लग पाई है।

भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि काफी लंबे समय दायित्व आवंटन का भाजपाई इंतजार कर रहे थे, कम  कार्यकर्ताओं  को दायित्व मिला है,लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि कम से कम दायित्व आवंटन की शुरूआत तो हो गई है। देर सबेर सूची में शामिल अन्य भाजपाइयों को भी दायित्व मिलने की उम्मीद है।

यहां बताना जरूरी है कि दायित्व आवंटन में भाजपा हाईकमान की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है। हाईकमान काफी फूंक-फूंक कर कदम उठा रहा है। पर  दायित्व आवंटन के समय राजनीतिक लाभ हानि का भी आकलन कर रहा है। दायित्व किसको दिया जाए, इस पर मंथन भाजपा की शीर्ष कमेटी कर रही है। क्योंकि हाईकमान को पता है कि उत्तराखंड में भाजपा के कई गुट सक्रिय हैं।

हाईकमान भी उत्तराखंड में  भाजपा की असली  स्थिति से अवगत है। हाईकमान भी चाह रहा है कि चुनावी सीजन है, इसलिए हर गुट के लोगों को एडजस्ट किया जाए।  भाजपा हाईकमान की मंशा उत्तराखंड की सभी पांचों पर फिर से कब्जा करना है।

उत्तराखंड को लेकर भाजपा हाईकमान जो भी अभी निर्णय ले रहा है या फिर भविष्य में लेगा वह लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ही करेगा। बहरहाल दायित्व आवंटन से भाजपा कार्यकर्ता काफी उत्साहित हैं।  कार्यकर्ताओं  को लगने लगा है कि लोकसभा चुनाव के पहले   थोक भाव से कार्यकर्ताओं  को दायित्व आवंटित किए जाएंगे।

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