सरकार बताएं जांच कमेटी की रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई की : हाईकोर्ट

दो सप्ताह में जवाब और रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

नैनीताल । नैनीताल उच्च न्यायालय ( Nainital High Court) ने जिला सहकारी बैंकों में ग्रुप डी की भर्ती अनियमितता ( irregularity) पर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। न्यायालय ने राज्य सरकार (state government) से कहा है कि जो तीन सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट आई है उस पर क्या कार्यवाही हुई  न्यायालय ने इस सवाल का जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है साथ ही रिपोर्ट पेश करने के भी निर्देश दिए हैं।

इसके साथ ही अगली सुनवाई अक्टूबर दूसरे सप्ताह नियत कर दी है। यह निर्देश ( direction) शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की संयुक्त खण्डपीठ ने दिया है। इससे पहले सुनवाई के समय राज्य सरकार ने जांच रिपोर्ट की फोटो प्रति पेश की। जिसमे कहा गया कि जांच कमेटी ने जांच पूरी कर सरकार को सौंप दी है जिसपर सरकार को निर्णय लेना है। जांच कमेटी में शामिल नीरज बेलवाल व सहकारिता सचिव वीबीआरसी पुरषोत्तम भी न्यायालय में पेश हुए।
इस अवसर पर न्यायालय ने सचिव से सवाल किया कि मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की गई है। सीबीआई ( CBI)को देनी चाहिए या नही। उन्होंने न्यायालय को बताया कि मामले की तीन सदस्यीय कमेटी ने जून माह में जांच कर रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है जिसपर सरकार को निर्णय लेना है। न्यायालय ने इन तथ्य से सहमत होते हुए उन्हें दो सप्ताह का समय दिया है।
गौरतलब है कि हरिद्वार निवासी प्रियांशु त्यागी ने उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि 2020 में प्रदेश के सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी के लिए  423 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी हुई थी। जिसमे भर्ती प्रक्रिया के दौरान कई अनियमितताएं सामने आई। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस भर्ती प्रक्रिया में अधिकारियों व नेताओं के रिश्तेदारों का चयन किया गया और कई अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेकर भर्ती की जा रही है। इसकी शिकायत ज्वालापुर हरिद्वार से विधायक सुरेश राठौर द्वारा मुख्यमंत्री से की गई। परन्तु इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
समाचार पत्रों में अनियमितताएं की खबर छपने के बाद मुख्य सचिव के निर्देश पर सचिव सहकारिता ने  हरिद्वार में  इस भर्ती प्रक्रिया को रोक दिया गया। इसके बावजूद नैनीताल, अल्मोड़ा, देहरादून व पिथौरागढ़ में भर्तियां की गई। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही का अनुरोध किया है।

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