भारतीय किसानों के हितों पर चोट बताया किसान सभा ने, वापस लेने की मांग

रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा (All India Kisan Sabha ) से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा चना, दाल, बादाम, अखरोट, सेब, बोरिक एसिड और डायग्नोस्टिक अभिकर्मकों सहित विभिन्न अमेरिकी उत्पादों (American Products) पर टैरिफ कम करने के फैसले को भारतीय किसानों और उपभोक्ताओं के हितों पर चोट बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। किसान सभा ने कहा है कि सरकार के इस कदम से भारतीय बाजार अमेरिकी उत्पादों से पट जाएंगे।

आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा (Chhattisgarh Kisan Sabha ) के संयोजक संजय पराते ने कहा है कि मोदी सरकार ने यह फैसला विश्व व्यापार संगठन में लंबित व्यापार विवाद को सुलझाने के नाम पर किया है, जबकि सभी जानते हैं कि अमेरिका और यूरोपीय संघ अपने लाभ के लिए विश्व व्यापार संगठन के विवाद समाधान तंत्र का उपयोग कर रहे हैं। किसान सभा ने विश्व व्यापार संगठन से कृषि के क्षेत्र को बाहर करने की अपनी मांग को पुनः दुहराया है।

किसान सभा नेता ने कहा है कि एक अमेरिकी किसान को 61286 डॉलर की सब्सिडी मिलती है, जबकि एक भारतीय किसान (Indian Farmers) को मात्र 282 डॉलर की। इसके बावजूद अमेरिका और यूरोपीय संघ यहां के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली से वंचित करना चाहता है। ऐसे में अमेरिकी और भारतीय किसानों के बीच किसी भी प्रकार की प्रतियोगिता की कल्पना भी नहीं की जा सकती। उस पर अमेरिकी उत्पादों पर शुल्कों में कटौतियां भारतीय किसानों के हितों के समर्पण के सिवा और कुछ नहीं है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में मुक्त व्यापार समझौते के नाम पर अमेरिका के लिए भारतीय बाजार के दरवाजे पोल्ट्री और डेयरी उत्पादों के लिए खोलने के विनाशकारी परिणाम सामने आए हैं, क्योंकि भारतीय किसानों की आय में 25% की गिरावट दर्ज की गई है। अब सेब, दाल आदि में शुल्कों की कटौती से किसानों की बदहाली और बढ़ेगी।

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