भारत का प्रतिनिधित्व करना सम्मान की बात

नई दिल्ली। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के युवा फॉरवर्ड खिलाड़ी सुखजीत सिंह ( Sukhjeet Singh ) ने कहा कि 19वें एशियाई खेलों हांगझू 2022 में भारत (India ) का प्रतिनिधित्व करना उनके लिये सम्मान की बात है और उन्हे भारत की जर्सी पहनने मात्र की कल्पना ही रोमांचित कर रही है।

पहली बार एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले 26 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, यह अवास्तविक लगता है कि मैं एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहा हूं करूंगा। मुझे गर्व है कि मैं 19वें एशियाई खेल हांग्जो 2022 (Asian Games Hangzhou 2022) में भारत की जर्सी पहनूंगा। मेरे पिता का सपना मुझे उच्चतम स्तर पर खेलते हुए देखना था जो अब साकार होने जा रहा है। यह एक ऐसा एहसास है जिसे मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता। यह सब मेरे ईमानदार प्रयासों और मेरे परिवार के सदस्यों की शुभकामनाओं के कारण है।

कोच क्रेग फुल्टन के मार्गदर्शन में तैयारियां अच्छी चल रही हैं। हम अपनी कमजोरियों पर काम कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हम वही गलतियाँ दोबारा न करें। मैं पिछले डेढ़ साल से टीम के साथ हूं और टीम के वरिष्ठ खिलाड़ी बहुत मिलनसार हैं। जब भी हममें से किसी को कोई कठिनाई होती है तो हम हमेशा उनसे संपर्क कर सकते हैं। वे हमारा उचित मार्गदर्शन करते हैं और हमारे खेल को बेहतर बनाने में हमारी मदद करते हैं।

हॉकी इंडिया के सूत्रों ने बुधवार को कहा कि पेरिस ओलंपिक 2024 में सीधे क्वालीफिकेशन हासिल करने के लक्ष्य के साथ भारतीय टीम 24 सितंबर को उज्बेकिस्तान के खिलाफ अपने एशियाई खेल अभियान की शुरुआत करेगी। फॉरवर्ड खिलाड़ी ने कहा, हमारा लक्ष्य केवल स्वर्ण पदक पर है। हम जानते हैं कि यहां क्या दांव पर लगा है और हम कुछ भी हल्के में नहीं लेंगे। कुछ मजबूत टीमें हैं और हम किसी भी मैच में अपनी सतर्कता में कमी नहीं आने देंगे। हमें प्रत्येक मैच को फाइनल मानना ​​होगा और जब भी हम मैदान पर होंगे तो अपना सब कुछ देना होगा।

एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद, खिलाड़ियों में आत्मविश्वास ऊंचा है और मुझे उम्मीद है कि हम इस लय को 19वें एशियाई खेलों हांग्जो 2022 में जारी रख सकते हैं। एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी से पहले हमने चार देशों का टूर्नामेंट भी खेला था। इससे निश्चित तौर पर हमें मदद मिलेगी।

अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को देते हुये उन्होने कहा, मुझे याद है कि मैं केवल पाँच या छह साल का था जब मेरे पिता ने मुझे हॉकी स्टिक दी थी। जब मेरे पिता खेलते थे तो उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ता था और वह नहीं चाहते थे कि मुझे उन समस्याओं का सामना करना पड़े जो उन्हें झेलनी पड़ीं। उन्होंने हमेशा मुझ पर विश्वास किया और मुझे प्रेरित करते रहे। अपनी शिफ्ट खत्म होने के बाद वह मुझे ट्रेनिंग के लिए ग्राउंड पर ले जाते थे। उन्होंने मेरे लिए बहुत त्याग किया है और मैं उन्हें जितना धन्यवाद दूं, कम है। वह हमेशा मेरे आदर्श रहेंगे।

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