नयी दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल(Minister of State Prof. S.P. Singh Baghel) ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के आगरा में राज्य एड्स नियंत्रण समितियों के परियोजना निदेशकों के साथ राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की समीक्षा बैठक का उद्घाटन करते हुए कहा कि एचआईवी एड्स रोगियों का सामाजिक कलंक मिटाने पर बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने एचआईवी एवं एड्स और एसटीडी (Sexually transmitted diseases) की निदान प्रतिक्रिया को मजबूत करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एड्स टोल-फ्री हेल्पलाइन, आजीवन मुफ्त एआरटी सेवाएं, एचआईवी से पीड़ित लोगों के लिए मुफ्त आजीवन एंटीरेट्रोवायरल (एआरवी) दवाएं, निशुल्क पालन परामर्श, नैदानिक और निगरानी सेवाएं जैसे बेसलाइन प्रयोगशाला (laboratory )जांच, सीडी 4 काउंट परीक्षण,और पीएलएचआईवी के लिए नियमित वायरल लोड मॉनिटरिंग आदि कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एड्स और एचआईवी पीड़ितों के खिलाफ भेदभाव को कम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सरकार ने प्रतिष्ठानों के लिए एचआईवी और एड्स नीति 2022 अधिसूचित की है।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने सटीक जांच और उपचार पर जोर दिया, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि देखभाल सेवाएं देश के दूरदराज के हिस्सों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति परीक्षण के लिए सहमति नहीं देता है, वह पूरे समाज को नुकसान पहुंचा रहा है, क्योंकि वह बीमारी फैला सकता है।
उन्होंने कहा कि एचआईवी-एड्स (HIV-AIDS)से जुड़े मिथकों को दूर करना बहुत महत्वपूर्ण है और समग्र रूप से समाज के बारे में सोचने और अपना परीक्षण कराने की जरूरत है। एचआईवी- एड्स रोगियों को भी उसी तरह सहायता करने की आवश्यकता है जैसे अन्य रोगियों को हैं।
दो दिवसीय बैठक 24 और 25 अगस्त को आगरा में आयोजित की जा रही है। बैठक का उद्देश्य 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में एचआईवी- एड्स को समाप्त करने के सतत विकास लक्ष्य का हिस्सा बनना है। राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम ( एनएसीपी) वर्तमान में पांचवें चरण में है, जिसका उद्देश्य नए एचआईवी संक्रमणों के साथ-साथ एड्स से संबंधित मृत्यु दर को कम करना और समाज में एचआईवी-एड्स से संबंधित कलंक को खत्म करना है।