नयी दिल्ली । लोकसभा (Lok Sabha) में कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी(Adhir Ranjan ) की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद सदन में सत्तापक्ष ने जोरदार हंगामा हुआ और हाथापाई की नौबत आ गयी।सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी भाषण दे रहे थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, नागरिक उड्डयन एवं इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, रेल, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव आदि सभी सदन में मौजूद थे।
विपक्षी बेंच पर कांग्रेस नेता श्रीमती सोनिया गांधी, नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला की उपस्थिति में चर्चा के बीच श्री चौधरी ने कहा, “हम समझ रहे थे कि नीरव मोदी देश से भाग गया और कैरेबियाई देशों में मजे कर रहा है। लेकिन अब समझ में आया है कि नीरव मोदी कहीं नहीं गया। वह देश में ही है और नरेन्द्र मोदी बनकर बैठा हुआ है।”
इतना कहना था कि सत्तापक्ष में तेज शोर उठा और प्रधानमंत्री को छोड़ कर सभी मंत्री एवं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सभी सांसद अपने स्थान से उठकर कांग्रेस नेता को ललकारने लगे। इसी बीच भाजपा के सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त अपने स्थान से उठ कर तेजी से श्री अधीररंजन चौधरी की ओर लपके और चुनौती देने लगे। इस पर विपक्ष के कई सांसद भी आगे बढ़े। उधर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने श्री वीरेन्द्र सिंह मस्त को पकड़ा और उन्हें वापस ले आये। श्री अधीररंजन चौधरी भी एक बारगी सहम गये थे।
प्रधानमंत्री श्री मोदी अपने स्थान पर बैठे हुए सब देखते रहे और उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे पहले भी श्री चौधरी ने मणिपुर के हालात पर गृह मंत्री श्री शाह के कल के भाषण पर नुक्ताचीनी करते हुए कहा कि गृह मंत्री को बफर ज़ोन में सुरक्षा बलों की तैनाती की बात नहीं कहनी चाहिए थी।
इसके बाद अध्यक्ष ने केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम पुकारा और श्री सिंधिया ने उठकर अपनी बात शुरू की। इसके चंद मिनट बाद प्रधानमंत्री उठकर सदन से चले गये। उनके पीछे संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी, गृह मंत्री श्री शाह भी चले गये।
श्री सिंधिया ने अपने भाषण में कांग्रेस एवं संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) पर प्रहार किये और कहा कि वह 20 साल से संसद में हैं लेकिन आज के जैसा दृश्य कहीं नहीं देखा और ना सोचा। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ लोगों द्वारा चुने गये प्रधानमंत्री के प्रति जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया, वैसा कभी किसी प्रधानमंत्री के प्रति नहीं किया गया। विपक्ष को देश की जनता के सामने माफी मांगनी पड़ेगी। विपक्ष के लोग आज भी अविश्वास प्रस्ताव पर बोलने के लिए तैयार हैं लेकिन ना सदन और ना ही देश की सुनने को राज़ी हैं। इनका यही बर्ताव रहा तो लोकतंत्र के इस मंदिर में इनकी कोई नहीं सुनेगा।
श्री सिंधिया ने कहा कि 17 दिन से संसद का सत्र नहीं चलने दे रहे हैं। मौनव्रत के आरोप लगाते हैं तो उन्हें भी बताना चाहिए कि 1993 की हिंसा, 2011 की हिंसा पर कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्रियों ने क्यों मौन रखा था। उन्होंने कहा कि इनका नया नाम आईएनडीआईए एक अवसरवादी समूह है।
उधर कांग्रेस के नेताओं ने आपस में चर्चा करके सदन से बहिर्गमन करने की घोषणा कर दी और उठ कर चले गये। पीठासीन अधिकारी राजेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष का वाक आउट उचित नहीं है। आप ही अविश्वास प्रस्ताव लाये हैं लेकिन उसका जवाब सुनने की बजाए वाक आउट कर रहे हैं। यह सदन का अपमान है।
श्री सिंधिया ने चुटकी लेते हुए कहा कि देश की जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है और सदन से बाहर ये खुद ही जा रहे हैं। इन्हें अपने अविश्वास प्रस्ताव पर खुद ही विश्वास नहीं है। देश की जनता ने जो परिणाम दिया है, उसे स्वीकार करना चाहिए।