यूपीईएस ने की नए एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की घोषणा
अत्याधुनिक रिसर्च के लिए 50 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना
देहरादून स्थित लीडिंग निजी मल्टीडिसप्लनेरी विश्वविद्यालय, यूपीईएस अपने कैंपस में एआई के लिए एक विश्व स्तरीय सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस स्थापित कर रहा है। यह पहल छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को टेक्नोलॉजी विकसित करने, वास्तविक जीवन की चुनौतियों से निपटने और इंडस्ट्री की तमाम समस्याओं पर काम करने में मदद करेगा।
रिसर्च और इनोवेशन के प्रति अपने कमिटमेंट को दोहराते हुए, विश्वविद्यालय ने भविष्य को देखते हुए एआई और डेटा साइंस में एक अत्याधुनिक सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस स्थापित करने में महत्वपूर्ण निवेश किया है, यह सेंटर मल्टीडिसप्लनेरी रिसर्च, कंसल्टिंग और ट्रेनिंग पर फोकस करेगा। यह सेंटर हाई-एंड सर्वर के क्लस्टर, जीपीयू और टीपीयू (ट्रांजैक्शन प्रोसेसिंग यूनिट) आदि से लैस होगा। यह 50 से अधिक शोधकर्ताओं को एक साथ काम करने के लिए शीर्ष स्तरीय बुनियादी ढांचा प्रदान करेगा।
डॉ. रवि एस अय्यर, डीन, स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस, यूपीईएस ने कहा – “अत्याधुनिक रिसर्च की सुविधा के साथ-साथ, सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस डेटा साइंस और एआई में इंटरडिसिप्लिनरी मास्टर और रिसर्च लेवल के प्रोग्राम/कोर्सेज भी प्रदान करेगा। इसके अलावा, यह बीएफएसआई, हेल्थकेयर, डिफेन्स और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में इन टेक्नोलॉजीज के प्रयोग को भी बढ़ावा देगा। सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस का लक्ष्य इन-हाउस एक्सपेर्टीज़ का लाभ उठाना और कंसल्टिंग सर्विसेज, कंटीन्यूअस एजुकेशन और मैनेजमेंट डेवेलपमेंट प्रोग्राम जैसे क्षेत्रों के लिए ज्ञान के व्यापक भंडार का उपयोग करना है।“
मैकिन्से की हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, प्रोडक्टिविटी पर जेनरेटिव एआई का प्रभाव ग्लोबल अर्थव्यवस्था में खरबों डॉलर का मूल्य जोड़ सकता है। रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि आज की आधी कार्य गतिविधियाँ 2030 और 2060 लगभग के बीच लगभग 2045 तक स्वचालित हो सकती हैं। एआई प्रतिभा की हाई इम्पोर्टेंस होने के बावजूद, भारत जेनरेटिव एआई की दौड़ में कई बड़े ग्लोबल टेक हब्स से पीछे है। इसलिए, उद्योग में श्रेस्थता हासिल करने के लिए इनोवेटर्स में निवेश करना और उन्हें ज़रूरी स्किल्स से लैस करना महत्वपूर्ण है।