नई दिल्ली । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को अपने तीसरे चंद्र मिशन-‘चंद्रयान-3’ का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए इसे लॉन्च किया गया।
शुक्रवार को इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 को एक अगस्त से चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने की योजना है। इसके बाद 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग किए जाने की योजना है।
श्रीहरिकोटा में संवाददाता सम्मेलन में इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान 3 एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। चंद्रयान-3 के इस बार चांद के सतह पर लैंडिंग करना बहुत महत्वपूर्ण है। जब तक आप नहीं उतरते, आप नमूने नहीं ले सकते, आप इंसानों को नहीं उतार सकते, तब तक चंद्रमा पर आप आधार नहीं बना सकते। इसलिए, लैंडिंग आगे की खोज के लिए महत्वपूर्ण कदम।
इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अग्रणी स्थान ले लिया है। आज अमेरिकी भी भारतीय प्रतिभा और अंतरिक्ष यात्रियों को महत्व देते हैं। वे एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजना चाह रहे हैं। मुझे बहुत गर्व है कि आज हम सभी ने इतिहास बनते हुए देखा। चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इसरो टीम को बधाई देता हूं।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण इसरो के संस्थापक विक्रम साराभाई और अन्य लोगों द्वारा देखे गए सपने की पुष्टि भी है, जिनके पास संसाधनों की कमी थी लेकिन उन्हें अपने सपनों पर अथाह भरोसा था। यह विक्रम साराभाई को सच्ची श्रद्धांजलि भी है और ऐसे समय में हो रहा है जब हम अमृत काल के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह पूरा मिशन पूरी तरह से स्वदेशी है, आत्मनिर्भर भारत के मंत्र पर खरा उतर रहा है और आने वाले वर्षों में भी इसे दोहराया जाएगा। इसकी सफलता से भारत एक वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभरेगा। इस मिशन में 600 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
चंद्रयान-2 मिशन के विफल होने के सवाल पर जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह कहना उचित नहीं होगा कि चंद्रयान-2 असफल रहा क्योंकि आंकड़ों के हिसाब से देखें तो ज्यादातर देश पहले प्रयास में लैंडिंग नहीं करा पाए। तुलना के आधार पर, हम सांख्यिकीय रूप से अन्य देशों की तुलना में बेहतर हैं।