ब्रह्माकुमारीज के प्रति बढ़ते विश्वास का प्रतीक है राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री का आबू आना!

डॉ श्रीगोपालनारसन एडवोकेट
कुछ ही दिनों पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का ब्रह्माकुमारीज के माउंट आबू स्तिथ ज्ञान सरोवर में राजयोग साधना के लिए प्रवास हुआ तो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रह्माकुमारीज के शांतिवन में आकर ब्रह्माकुमारीज के आध्यात्मिक मिशन के प्रति जहां विश्वास व्यक्त किया वही विश्व शांति,सदभाव, चरित्र निर्माण और नैतिक मूल्यों को स्थापित करने की दिशा में ब्रह्माकुमारीज के योगदान को मान्यता दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रह्माकुमारीज के डायमंड हाल में अपना सम्बोधन करते हुए कहा कि जब भी मैं यहां आता हूं मुझे तभी आध्यात्मिक अनुभूति होती है।उन्होंने फ़रवरी माह में सरकार के जलजन अभियान को ब्रह्माकुमारीज को सौंपने के अवसर का जिक्र करते हुए 250 बैड के हॉस्पिटल व नर्सिंग कालेज आदि को शुरू करने के संकल्प के लिए ब्रह्माकुमारीज का अभिनन्दन किया।साथ ही कहा कि मौजूदा समय का अमृत काल वास्तव में कृतव्य काल है ,जिसकी प्रेरणा पुंज ब्रह्माकुमारीज है।
जो नैतिक मूल्यों को मजबूत करने के साथ ही समाज सेवाओ के प्रति भी समर्पण भाव से कार्य कर रही है।अपने भाषण में उन्होंने आयुष्मान योजना समेत विभिन्न उपलब्धियों का जिक्र किया और कहा कि आयुष्मान योजना का लाभ अभी तक 4 करोड़ लोग उठा चुके है।इससे पूर्व संस्था की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका बीके जयंती ने प्रधानमंत्री समेत सभी को राजयोग का अभ्यास कराया और संस्था की परमात्म सेवा से जुड़ी जसनकारियाँ दी।संस्था के कार्यकारी सचिव बीके मृतुन्जय भाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करते हुए मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी की तरफ से शाल ओढ़ाकर उनका अभिनन्दन किया।जबकि बीके जयंती द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
ब्रह्माकुमारीज ने भी दो कदम आगे बढ़कर जनकल्याण के लिए 250 बैड का हॉस्पिटल देश व समाज को सौंपने का माध्यम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बनाकर देश के विकास में अपनी प्रतिबद्धता सिद्ध की है।प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के मुख्यालय माउंट आबू व दुनिया के 140 देशों में फैले ब्रह्माकुमारीज सेवा केंद्रों में पहुंचने पर इसीलिए सबको सुखद अनुभूति होती है,क्योंकि यहां सामुहिक योग की वाइब्रेशन का समावेश रहता है।
राजयोग अभ्यास के दौरान जब परमात्मा शिव की याद करते हुए हमारी भृकुटि में विराजित आत्मा  का कनेक्शन परमात्मा से जुड़ जाए,तभी हम राजयोगी बन जाते है। जिसका सुखद अनुभव स्वयं देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी किया है।यही वह स्तिथि है जब हम परमात्मा की याद में बैठकर परमात्मा से रूहरिहान कर सकते है।शांति वन में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभूतपूर्व स्वागत हुआ वही माउंट आबू में प्रवास के दौरान जब देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पांडव भवन स्तिथ ब्रह्माबाबा के कक्ष में गई तो उनकी लौ सीधे परमात्मा से लग गई और वे शिवबाबा के प्रतीक चित्र के सामने ध्यान मग्न हो गई थी।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ब्रह्माकुमारीज से काफी पहले से जुड़ी है और नियमित रूप से राजयोग का अभ्यास करती है।वे कहती भी है कि राजयोग तपस्या से हमे परमात्मा द्वारा अविनाशी भाग्य प्राप्त होता है। अविनाशी भाग्य को हमेशा अविनाशी बनाये रखना ही राजयोगी होने का प्रमाण है। जिसके लिए स्वयं पर सहज अटेंशन देने की जरूरत है। टेंशन वाला अटेंशन नहीं हो सकता, सहज अटेंशन हो ,तभी हम विदेही रूप में परमात्मा से अपनी लौ लगा सकते है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ब्रह्माकुमारीज संस्था  के कार्यकारी सचिव मृतुन्जय भाई की उनके स्वागत के साथ साथ आध्यात्मिक चर्चा भी हुई,जिस पर उन्हें बताया गया कि परमात्मा वह बीज है जिसमें सृष्टि का सारा आदि मध्य अंत का ज्ञान समाया हुआ है। वही मनुष्य को प्राप्त गुण व शक्तियां परमात्मा का दिया वह प्रसाद है,जिससे हम अपने जीवन को 21 जन्मों के लिए सफल बना सकते है। विद्या के बिना मानव जीवन व्यर्थ है। मानव के संपूर्ण विकास में विद्या की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। इससे मनुष्य अनुशासित होता है और उसका चरित्र निर्माण होता है। विद्या के बल से वह स्वार्थों से ऊपर उठ पाता है और प्रकृति एवं मानव जाति से प्रेम करना सीखता है।भौतिक विद्या तो स्कूलों एवं विश्वविद्यालयों में मिल जाती है। लेकिन सत्य एवं आध्यात्मिक ज्ञान सिर्फ परमपिता परमात्मा ही दे सकता है।जिसको प्राप्त करने की विधि ही राजयोग का अभ्यास है, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस सत्य को स्वीकार किया है। उन्होंने परमात्मा के यथार्थ रूप को पहचान कर और संपूर्ण ज्ञान को धारण करके ही अपने जीवन को दिव्य गुणों से संपन्न बनाया है।
ब्रह्माकुमारीज संस्थान एक ऐसा दिव्य व भव्य आध्यात्मिक विश्व विद्यालय है,जिसके विश्वभर में स्थित सभी साढ़े आठ हजार सेवा केंद्रों पर एक साथ, एक ही समय पर सुबह 7 बजे से ईश्वरीय महावाक्यों पर आधारित मुरली होती है।जिसमें परमात्मा की ओर से सदशिक्षा,जीवन जीने की कला और जीवन के प्रति मार्गदर्शन मिलता है।इस राजयोग अभ्यास को करने व मुरली सुनने के लिए राष्ट्रपति भी सदैव समय से सुबह साढ़े तीन बजे उठती है व उठने के बाद  ज्योतिर्बिन्दु स्वरूप परमपिता शिव परमात्मा का ध्यान करती हैं। ब्रह्माकुमारीज एक ऐसा संस्थान है जो बहनों द्वारा संचालित किया जाता है व वरिष्ठ भाईयों द्वारा बहनों का सहयोग किया जाता है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान की सफलता यह सिद्ध करती है कि अवसर मिलने पर महिलाएं पुरुषों से बेहतर कार्य कर सकती हैं। एक आध्यात्मिक संस्था के रूप में केवल ब्रह्माकुमारीज ही नहीं ऐसी कई संस्थाएं इस दिशा में आगे बढ़ रही हैं। ब्रह्माकुमारीज महिलाओं के सशक्तिकरण में सक्रिय भूमिका निभा रही है।
   आध्यात्म ही वह प्रकाश पुंज है जो पूरी मानवता को सही राह दिखा सकता है।  माउंट आबू से शुरू हुई यह आध्यात्मिक क्रांति देश के लोगों को नैतिक रूप से सशक्त बनाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शांतिवन के डॉयमंड हॉल से 250 बैड के मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल का शिलान्यास किया गया। पचास एकड़ भूमि में यह हॉस्पिटल दो साल में बनकर तैयार होगा।  ग्लोबल हॉस्पिटल एंड रिसर्च हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. प्रताप मिड्ढा ने बताया कि सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में ब्रह्माकुमारीज की ओर से 50 एकड़ भूमि में आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण किया जा रहा है। इससे स्थानीय जरूरतमंद लोगों को सहज ही इलाज की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। इस हॉस्पिटल में तन के साथ मन का इलाज भी होगा। इसमें विशेष रूप से मेडिटेशन रूम बनाए जा रहे है, ताकि दवा और दुआ दोनों के समन्वय से लोग जल्दी स्वस्थ हो सकें। हॉस्पिटल में आधुनिक उपकरणों के साथ विशेषज्ञ डॉक्टर अपनी सेवाएं देंगे। हॉस्पिटल निर्माण के साथ नर्सिंग कॉलेज का भी विस्तार किया जा रहा है। इस हॉस्पिटल में मुख्य रूप से न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी की विशेष यूनिट शुरू होगी। इसके अलावा प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी, पैलिएटिव केयर और जेरिएट्रिक केयर  की भी सुविधा रहेगी। साथ ही तीसरे साल में हॉस्पिटल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट के इलाज की सुविधा प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है।जो ब्रह्माकुमारीज का स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति बड़ा कदम है।

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