सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने आज गुरुवार को उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे के शिवसेना में टूट और महाराष्ट्र में सरकार बदलने को लेकर दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया है।
CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने महाराष्ट्र मामले की सुनवाई सात जजों की बेंच के हवाले कर दिया। पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया।
CJI ने कहा कि नबाम रेबिया मामले में उठाये गये सवाल को बड़ी बेंच में भेजना चाहिए। क्योंकि उसमें और स्पष्टता की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए।
कहा कि गोगावाले (शिंदे समूह) को शिवसेना पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला अवैध था। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है।