शैक्षणिक संस्थानों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने का विवादास्पद मुद्दा कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए एक गंभीर विषय प्रतीत नहीं होता है। उडुपी में एक गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज द्वारा कक्षाओं में हिजाब पहनकर आने पर पाबंदी लगाये जाने के बाद पिछले साल यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर छा गया था। राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने विवाद के तूल पकड़ने के बाद शैक्षणिक परिसरों के अंदर हिजाब पहन कर आने पर पिछले साल एक आदेश के तहत प्रतिबंध लगा दिया था। इसने कहा था कि समानता, अखंडता और कानून व्यवस्था को प्रभावित करने वाली किसी भी पोशाक को अनुमति नहीं दी जाएगी।
विद्यार्थियों को प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों और स्कूलों के लिए निर्धारित पोशाक ही पहनने का निर्देश दिया गया था। राज्य में हिजाब पहनी कई छात्राओं को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश करने देने से इनकार किये जाने के बाद यह आदेश जारी किया गया था। इस कदम के बाद देशभर में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए थे। कुछ मुस्लिम छात्राओं के अदालत का रुख करने के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सरकार के आदेश को कायम रखा था। इसके बाद, फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई, जिसने अक्टूबर में एक विभाजित फैसला सुनाया। विषय की सुनवाई आगे एक वृहद पीठ द्वारा की जाएगी।
हिजाब विवाद के दौरान भाजपा के ‘पोस्टर ब्वॉय’ रहे यशपाल सुवर्णा अब उडुपी विधानसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार हैं। जब यह विवाद उत्पन्न हुआ था उस वक्त वह उडुपी गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज फॉर वुमन की विकास समिति के उपाध्यक्ष थे। मौजूदा विधायक रघुपति भट की जगह इस सीट से पार्टी ने सुवर्णा को टिकट दिया है, जो मोगावीरा (मछुआरा समुदाय) के नेता हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं पर उनकी मजबूत पकड़ है।