धर्मपाल धनखड़
ओलंपिक, एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतकर देश का नाम रोशन करने वाले तीस से ज्यादा पहलवान दिल्ली के जंतर मंतर पर तीन दिन से धरना दे रहे हैं। धरने पर बैठे पदकवीर पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष तथा कुछ खेल प्रशिक्षकों पर महिला पहलवानों के यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लगाये हैं। हालांकि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने मीडिया के सामने तमाम आरोपों को निराधार बताया और आरोप साबित होने पर फांसी पर लटकने की बात भी कही।
विश्व चैम्पियनशिप की पदक विजेता पहलवान विनेश फोगाट, ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ने मीडिया के सामने कुश्ती महासंघ में व्याप्त विसंगतियों के बारे में खुलकर बताया। महिला पहलवानों के यौन शोषण और पहलवानों को विभिन्न तरीकों से प्रतिडित किये जाने के आरोप भी महासंघ के पदाधिकारियों और कुछ प्रशिक्षकों पर लगाये हैं।
भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने कुश्ती महासंघ से 72 घंटे में जवाब तलब किया है। वो समयावधि भी समाप्त हो चुकी है। इस बीच केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने आंदोलनकारी पहलवानों की शिकायत भी सुनी। लेकिन खेल मंत्री से बातचीत के बाद भी पहलवान संतुष्ट नहीं हुए। धरने पर बैठे पहलवानों ने महासंघ अध्यक्ष को हटाने और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने तथा महिला पहलवानों के यौन शोषण की जांच करवाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने सरकार की तरफ से कार्रवाई नहीं होने की सूरत में पुलिस में एफ आई आर दर्ज करवाने की बात भी कही।
बृजभूषण शरण सिंह पिछले ग्यारह साल से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष हैं। उनके कार्यकाल में निसंदेह पहलवानों ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया है। लेकिन जिस तरह से पहलवानों ने एकजुट होकर कुश्ती महासंघ अध्यक्ष और पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाये हैं। ऐसा देश में पहली बार हुआ है। पहलवानों के आरोपों से ये तो साफ है कि कुश्ती महासंघ में सबकुछ ठीक ठाक नहीं है। इससे पहले भी प्रशिक्षकों पर महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण के आरोप लगते रहे हैं। पिछले दिनों एक जूनियर महिला कोच ने हरियाणा के खेल राज्य मंत्री संदीप सिंह पर भी छेड़छाड़ के गंभीर आरोप लगाये थे।
जिसकी जांच चंडीगढ़ पुलिस कर रही है। इस मामले में हरियाणा सरकार और खास तौर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का रवैया हैरान करने वाला रहा है। ऐसे में भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई किये जाने को लेकर पदकवीर पहलवानों की शंका वाजिब है। बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी के बाहुबली सांसद भी हैं। खेल मंत्रालय के निर्देश पर सिंह ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से मना कर दिया है।
पिछले दिनों एक पहलवान को मंच पर थप्पड़ मारने का उनका वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। इससे उनकी कार्यशैली और दबंगई का अंदाजा लगाना कोई मुश्किल काम नहीं है। इस बीच लखनऊ में चल रहे कुश्ती कैंप को स्थगित कर दिया गया है। चूंकि धरना दे रहे पहलवानों ने कुश्ती संघ अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने तक किसी भी कैंप में शामिल होने इंकार कर दिया है।
पदक विजेता खिलाड़ियों के आंदोलन पर देश ही नहीं विदेशों की निगाह भी लगातार टिकी हुई है। इससे देश दुनिया में सरकार की किरकिरी हो रही है। आंदोलनकारी पदक विजेता खिलाड़ी हैंं, किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता नहीं। उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया है। शर्मनाक बात तो ये है कि ऐसे खिलाड़ी अपने साथ हो रही ज्यादतियों को लेकर आंदोलन करने को विवश हुए हैं।
इन खिलाड़ियों ने अपना कैरियर दांव पर लगाकर खेल संघ में व्याप्त गंदगी को उजागर करने का साहस दिखाया है। धरने पर बैठे पहलवानों के समर्थन में देश भर से एथलीट पहुंच रहे हैं। विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं ने भी खिलाड़ियों के आरोपों की जांच करवाने की मांग की है। वहीं सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं ने भी खिलाड़ियों को न्याय दिलवाने का आश्वासन दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खेलों और खिलाड़ियों को लगातार प्रोत्साहित करते रहे हैं। लेकिन इस मामले में अभी तक उनकी चुप्पी देश को अखर रही है। खिलाड़ियों के यौन शोषण जैसे गंभीर आरोपों की निष्पक्ष जांच करवाना जरूरी है। आरोप सही पाये जाने पर दोषियों को कड़ी सजा मिलना भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो कोई भी माता-पिता अपनी बेटियों को खेल को कैरियर बनाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करेगा।