शिमला । उत्तराखंड के जोशीमठ की घटना से सभी को सबक लेने की जरूरत है। यह बात हिमाचल प्रदेश के जनजातीय व बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कही।
नेगी ने कहा कि अवैज्ञानिक निर्माण से लोगों को खतरे में डाला जा रहा है।जोशीमठ की तरह की घटनाओं में हाइडल प्रोजेक्ट के साथ-साथ मानवीय गलतियां भी है। जोशीमठ को लेकर वैज्ञानिकों ने हाइडल प्रोजेक्ट के निर्माण से पहले ही चेताया था, इसके बावजूद भी भवनों का निर्माण और पावर प्रोजेक्ट का निर्माण किया गया।
मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भी वैज्ञानिकों द्वारा 1500 से अधिक क्षेत्रों को लैंडस्लाइड जोन घोषित किया है। बावजूद इसके लोग अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण करते हैं जिस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। किन्नौर से विधायक नेगी ने कहा कि किन्नौर जिले के कई इलाके में भूस्खलन की घटनाएं होती है।
जिसके पीछे कई कारण हैं। हाइडल प्रोजेक्ट भी एक बड़ा कारण है क्योंकि प्रोजेक्ट के निर्माण में कई किलो मीटर लंबी सुरंगों का निर्माण होता है जिसमें ब्लास्टिंग की जाती है, जो काफी सस्ती भी है। उन्होंने कहा कि ब्लास्टिंग के कारण सुरंग के ऊपर वाले हिस्से में कंपन होता है तथा मकानों और जमीन धंसने तथा दरारों का खतरा रहता है।
इसलिए प्रोजेक्ट के निर्माण में पर्यावरण प्रेमी आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल होना चाहिए। जल विद्युत परियोजना के सुरंग निर्माण के दौरान टीबीएम तकनीक का प्रयोग किया जाना चाहिए जो काफी सुरक्षित है।