विश्व का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ कागज का बाजार है भारत

नयी दिल्ली । काबज उद्योग के शीर्ष संगठन इंडियन पेपर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (इप्मा) ने कहा है कि भारत विश्व का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ कागज का बाजार है। हालांकि कागज की बढ़ती मांग को पूरा करने की राह में कच्चे माल की आपूर्ति कागज उद्योग के लिए चिंता का विषय है।

वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे अच्छी स्थिति में है और इसे देखते हुए कागज उद्योग में विकास की रफ्तार आगे भी बनी रहने की उम्मीद है। इप्मा के निवर्तमान अध्यक्ष ए एस मेहता ने कहा कि कोविड महामारी को पीछे छोड़ने के बाद चालू वित्त वर्ष में कागज की मांग तेजी से बढ़ी है और यह महामारी के पहले के स्तर से भी आगे निकल गई है।

अर्थव्यवस्था में 6 से 8 प्रतिशत की सालाना विकास दर का अनुमान है। उन्होंने कहा कि उद्योग के सतत विकास के लिए कच्चे माल की सुनिश्चित आपूर्ति बहुत आवश्यक है। इस समय भारत में कागज में प्रयोग होने वाली लकड़ी को खरीदने की कीमत 100 डॉलर प्रति टन से ऊपर निकल गई है, जबकि अन्य प्रतिस्पर्धी देशों में यह 60 डॉलर प्रति टन है।

कागज उद्योग में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने के लिए कीमतों के मामले में प्रतिस्पर्धी होना अहम है और इसके लिए कच्चे माल की आपूर्ति को मजबूती देने की आवश्यकता होगी। कागज उद्योग द्वारा कृषि वानिकी की पहल को 5 लाख से ज्यादा किसानों के साथ मिलकर आगे बढ़ाया जा रहा है।

लकड़ी आधारित पेपर मिल्स के प्रयासों से अब तक देश में 12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कृषि वानिकी की गई, जिससे पर्यावरण संरक्षण के स्तर पर भी व्यापक लाभ मिल रहा है। जेके पेपर लिमिटेड के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक हर्षपति सिंघानिया ने कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए प्लाईवुड, फर्नीचर मैन्यूफैक्चरर्स और कंस्ट्रक्शन उद्योग समेत अन्य लकड़ी आधारित उद्योगों के भी आगे आने की जरूरत पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि स्रोत पर ही पृथक करने, प्रभावी तरीके से एकत्र करने और रद्दी कागज के बेहतर प्रयोग के माध्यम से देश में रद्दी कागज के रिकवरी रेट को बढ़ाने की भी जरूरत है। हमें इसे वेस्ट पेपर के बजाय रिकवर्ड पेपर कहना चाहिए, जिससे सकारात्मक संदेश जाएगा। कागज को 5 से 7 बार रिसाइकिल किया जा सकता है। बहुत कम उत्पाद ही इस मामले में इसकी बराबरी करने में सक्षम हैं।

मेहता ने कहा कि टेक्नोलॉजी और प्रक्रियाओं के मामले में भारतीय कागज उद्योग वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी है। पिछले पांच साल में उद्योग ने अपने ऊर्जा उपभोग को करीब 20 प्रतिशत कम किया है। पहले उद्योग एक टन कागज के उत्पादन में 200 घनमीटर पानी का प्रयोग करता था।

आज इंटीग्रेटेड मिल्स में यह खपत 50 घनमीटर से भी कम हो गई है। नैनी पेपर्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पवन अग्रवाल को इप्मा का नया अध्यक्ष और आईटीसी लिमिटेड (पीएसपीडी) के डिवीजनल चीफ एक्जीक्यूटिव वादिराज कुलकर्णी को नया उपाध्यक्ष चुना गया है।

Leave a Reply