उमा भारती ने कहा कि उन्होंने एनटीपीसी परियोजना के खिलाफ 2017 में सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिसमें उन्होंने कहा था कि परियोजना से ‘अपरिवर्तनीय नुकसान’ होगा। उस समय हलफनामे को केंद्र का समर्थन नहीं मिला था। फिर रेनी गांव की घटना हुई। मैंने उस समय कहा था कि यह इशारा करता है कि जोशीमठ भी इसी तरह की आपदा का सामना करेगा। तब मुझे बताया गया कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने यहां के अधिकारियों को फटकार लगाई और पीएमओ मामले को लेकर संवेदनशील है।
पीएमओ की बैठक जहां अधिकारियों की खिंचाई की गई थी. तब जोशीमठ डूब नहीं रहा था। इन सबके बा एक नई विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया जिसने 50% पूर्ण परियोजनाओं को हरी झंडी दे दी। यह (एनटीपीसी) परियोजना इसके अंतर्गत आती है। अब विशेषज्ञ कहेंगे कि संकट में एनटीपीसी परियोजना की क्या भूमिका है।
जोशीमठ से सोनिया गांधी से अपील की और कहा कि यह आरोप-प्रत्यारोप का समय नहीं है, क्योंकि तात्कालिक कार्य क्षेत्रों को खाली करना है। उमा भारती ने कहा, “विकास और विनाश साथ-साथ नहीं चल सकते।
विकास और विश्वास साथ-साथ रहेंगे। विकास, मानव जीवन, पर्यावरण ये सब साथ-साथ चलेंगे, लेकिन विकास और विनाश साथ-साथ नहीं चलेंगे। जोशीमठ ने कई चुनौतियों का सामना किया है ।
देहरादून। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की कद्दावर नेत्री उमा भारती आज जोशीमठ पहुंची। उमा ने केंद्र सरकार निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विकास और विनाश साथ-साथ नहीं चल सकते ।
जोशीमठ आपदा को लेकर उमा भारती ने नई दिल्ली स्थित नीति निर्माताओं की आलोचना की। उमा ने कहा , जो पहाड़ों, गंगा को ‘कम लटका हुआ फल’ मानते हैं, हमें डर है कि ये नीति निर्माता एक दिन उत्तराखंड, गंगा और हिमालय को खा जाएंगे।