भू वैज्ञानिकों की सलाह पर गौर किया होता तो जोशीमठ संकट नहीं होता : करन माहरा

देहरादून। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर जोशीमठ के आपदा ग्रस्त क्षेत्रों के लोगों के विस्थापन एवं सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जाने की मांग की है। माहरा ने कहा है कि जोशीमठ एक ऐतिहासिक, पौराणिक धार्मिक नगर होने के साथ ही आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित ज्योतिर्मठ नगर भी है।
उन्होंने कहा है कि जोशीमठ को भगवान बद्री विशाल के तीर्थ स्थल का प्रवेश द्वार कहा जाता है। विगत कुछ समय से जोशीमठ क्षेत्र में घटी भारी भूस्खलन की अप्रिय घटनाओं के चलते न केवल जोशीमठ नगर पर संकट छाया है अपितु वहां पर निवास करने वाले हजारों स्थानीय लोग बेघर होने की कगार पर पहुंच गए हैं।

संयुक्त उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भूगर्भ वैज्ञानिकों की सलाह पर वर्ष 1976 में गठित मिश्रा कमेटी की विस्तृत रिपोर्ट मे स्पष्ट रूप से जोशीमठ नगर को बचाये रखने के लिए यहां पर भारी निर्माण कार्यों पर रोक लगाये जाने की सिफारिश करने के साथ ही जोशीमठ को बचाने के लिए कुछ रचनात्मक सुझाव भी दिये गये थे, परन्तु इन सुझावों पर अमल न करने के कारण आज नगर का अस्तित्व संकट में पड़ गया है।

यहां लगातार घट रही भूस्खलन की घटनाओं से सैकड़ो आवासीय मकानों में दरारें पड़ चुकी हैं तथा कभी भी भयावह त्रासदी से होने वाली जनहानि का सामना करना पड़ सकता है।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति एवं स्थानीय जनता द्वारा लगातार आन्दोलन के माध्यम से राज्य सरकार से उचित कदम उठाए जाने की मांग की जा रही है। उन्होंने कहा कि भूगर्भ  की पूर्व चेतावनी के बावजूद राज्य सरकार द्वारा दैवीय आपदा संभावित क्षेत्र में सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं किये जा रहे हैं जिससे जोशीमठ क्षेत्र के लोगों के मन में दहशत का माहौल व्याप्त है।

स्थानीय लोगों की जानमाल की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए समय रहते समुचित कदम उठाने के साथ ही संवेदनशील क्षेत्र के लोगों के उचित विस्थापन की व्यवस्था की जानी चाहिए।

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