डॉ श्रीगोपालनारसन
जब जीवन मे अंधकार छाया था,तब इसी ब्रह्माकुमारीज ने राजयोग का सहारा देकर द्रौपदी मुर्मू के जीवन मे उम्मीदों की रौशनी लाने का काम किया था।आज जब उसी ब्रह्माकुमारीज मुख्यालय माउंट आबू में राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार द्रौपदी मुर्मू पहुंची तो लगा जैसे रूहानियत में खो गई हो।अपने मधुबन को निहारते हुए वे बोली,
‘ब्रह्माकुमारीज संस्थान के विभिन्न सेवाकेन्द्रों पर जो आध्यात्म शक्ति प्राप्त होती है, उसका सबसे ज्वलंत उदाहरण मैं स्वयं हूं, जब मैं अंधकारमय जीवन की ओर अग्रसर हो गई थी।तब मेडिटेशन और ध्यान योग के माध्यम से जीवन की मुख्य धारा में लौट पाई थी।
राष्ट्रपति श्रीमति द्रोपदी मुर्मु ने ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर थीम के तहत आध्यात्मिक सशक्तिकरण से स्वर्णिम भारत का उदय सम्मेलन को संबोधित किया।उन्होंने कहा कि विश्व में अनेकों संस्थान कार्यरत हैं लेकिन ब्रह्माकुमारीज एक ऐसा संस्थान है जो बहनों द्वारा संचालित किया जाता है व वरिष्ठ भाईयों द्वारा बहनों का सहयोग किया जाता है।
ब्रह्माकुमारीज संस्थान की सफलता यह सिद्ध करती है कि अवसर मिलने पर महिलाएं पुरुषों से बेहतर कार्य कर सकती हैं। एक आध्यात्मिक संस्था के रूप में केवल ब्रह्माकुमारीज ही नहीं ऐसी कई संस्थाएं इस दिशा में आगे बढ़ रही हैं। आज ब्रह्माकुमारीज संस्थान विश्व के 137 देशों में पांच हजार सेवाकेंद्रों का संचालन कर रहा है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान महिलाओं द्वारा संचालित विश्व का सबसे बड़ा संस्थान है। ब्रह्माकुमारीज महिलाओं के सशक्तिकरण में सक्रिय भूमिका निभा भी रही है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने देश में महिलाओं के खिलाफ हो रही घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि आज देश में बहनों और बेटियों के साथ जो घटनाएं हो रहीं ऐसे में उन्हें शक्ति स्वरूप बनकर आगे आना होगा। ब्रह्माकुमारी बहनें-बेटियां लोगों के अंदर सतोगुण जागृत करने के लिए जागरूक करने का कार्य करें। ब्रह्माकुमारी बहने लोगों में प्रेम, शांति और आत्मीयता को भरने और उनके अंदर विकारों को समाप्त करने का कार्य कर रही हैं।
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि युद्ध और कलह के वातावरण में विश्व समुदाय समाधान के लिए भारत की ओर देख रहा है। हमें कलियुग की मानसिकता को खत्म करना होगा और सतयुग की मानसिकता का आह्नान करना होगा। इसके लिए हम सबको मन में सत्वगुण को अपनाने का प्रयास करना होगा। मैं संस्थान के संस्थापक ब्रह्मा बाबा को नमन करती हूं और धन्यवाद देती हूं कि महिलाओं को पूरे विश्व में शांति और शक्ति प्रदान करने के लिए उनके सिर पर कलश रखा है।
ब्रह्मा बाबा ने जिस तरह महिलाओं को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाई, वैसे अन्य संस्थानों को भी प्रयास करना होंगे।राष्ट्रपति ने कहा कि दया और करुणा की भावना भारतवासियों के जीवन मूल्यों में है। माउंट आबू से शुरू हुआ ये अभियान समस्त भारतवासियों को सशक्त बनाने और समाज को सशक्त बनाने में संबल प्रदान करे। इसके पूर्व मुर्मू झारझंड की राज्यपाल रहते हुए दो बार माउंट आबू आ चुकी हैं।हालांकि उससे पहले भी वे पांच बार माउंट आबू आ चुकी थी।राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि इस धरती पर प्रत्येक मनुष्य मानसिक शांति प्राप्त करने के प्रयास में हैं चाहे वो किसी देश, जाति, संप्रदाय के हों।
शांति भी भोजन की तरह आवश्यक है। ब्रम्हाकुमारीज शांति और आनंद का मार्ग प्रशस्त कर रही है।उनका मानना है कि आध्यात्म ही वो प्रकाश पुंज है जो पूरी मानवता को सही राह दिखा सकता है। हमारा लक्ष्य है कि भारत एक नॉलेज सुपर पावर बने। हमारी आकांशा है कि इस नॉलेज का उपयोग सस्टेनेबल डवलवमेंट के लिए हो। सौहाद्र्र, महिलाओं और वंचित वर्ग के उत्थान के लिए हो, युवाओं के विकास, विश्व में स्थाई शांति की स्थापना के लिए हो।
उन्होंने कहा कि भारत इस समय जी -21 की अध्यक्षता कर रहा है, जिसका थीम है वसुधैव कुटुम्बकम यानी वन अर्थ वन फैमिली, वन फ्यूचर। अपनी संस्कृति के आधार पर हमारा देश आध्यात्मिक और नैतिकता के निर्माण के लिए सक्रिय है। हमारे देश ने कोरोना काल में भी विश्व के अन्य देशों की मदद की।
भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, आदि शंकराचार्य और संत कबीर, महात्मा गांधीजी की शिक्षाओं ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है। अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के साथ-साथ भारत शांति के अग्रदूत की भी भूमिका निभा रहा है। माउंट आबू से शुरू यह क्रांति देश के लोगों को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाएगा।
माउंट आबू से जाकर बहनों ने पूरे विश्व में लोगों के अंदर विराजित शक्ति को पहचानने, सशक्त बनाने, ज्ञान देने और जागरूक करने का कार्य कर रही हैं।ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने कहा कि भारत के पतन का मुख्य कारण नारी की लाज लुट रही है। द्रौपती ने परमात्मा की शक्ति से नारी की लाज बचाई थी। अब नारी के द्वारा ही भारत फिर से देवभूमि बनेगा।
सम्मेलन के विषय को स्पष्ट करते हुए संस्थान के कार्यकारी सचिव डॉ. बीके मृत्युंजय ने कहा कि संस्थान का प्रयास है कि आने वाले 25 सालों में सरकार के साथ मिलकर स्वर्णिम भारत को साकार करने के प्रयास में जुटा हुआ है। संस्थान की संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके मुन्नी दीदी ने मुकुट और बैज पहनाकर राष्ट्रपति का सम्मान किया। जयपुर सबजोन की निदेशिका बीके सुषमा दीदी ने सभी को राजयोग मेडिटेशन की गहन अनुभूति कराई। संचालन शिक्षा प्रभाग की मुख्यालय संयोजिका बीके शिविका ने किया।इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तपस्या के लिए ब्रह्माकुमारीज के ज्ञान सरोवर परिसर चली गई।