बेंगलुरू। कर्नाटक में चुनावी बिगुल फूंकते हुए केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने पुराने मैसूरु क्षेत्र में पार्टी नेताओं से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि पार्टी वहां नंबर एक पार्टी के रूप में उभरे।
शाह के लिए ओएमआर के मांड्या से एक उद्देश्य से चुनाव अभियान की शुरुआत की है। पिछले लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव परिणामों से संबंधित आंकड़ों के अनुसार कांग्रेस और जनता दल (एस) जेडीएस के गढ़ के रूप में ओएमआर अपनी चमक खो रहा है।
2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस और जेडीएस की तुलना में क्षेत्र में 8.5 लाख से अधिक वोट हासिल करके ओएमआर में जीत हासिल की। ओएमआर के तहत आने वाली 11 लोकसभा सीटों में से भाजपा को 73.8 लाख (50.4 फीसदी) वोट मिले, जबकि कांग्रेस और जेडीएस को 65.1 लाख वोट (44 फीसदी) मिले थे। 2014 के संसदीय चुनावों में अपने प्रदर्शन की तुलना में ओएमआर में भाजपा का प्रदर्शन और भी प्रभावशाली था।
विधानसभा चुनावों में भी भाजपा बढ़त हासिल कर रही है, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री और वोक्कालिगा के कद्दावर नेता एचडी देवेगौड़ा की करीब चार दशक से मजबूत पकड़ ओएमआर में टूटती जा रही है। 2018 के विधानसभा चुनावों में जब भाजपा को 104 सीटें मिलीं और कांग्रेस को 78 सीटें मिली। 200 से अधिक सीटों पर लड़ने के बावजूद जेडीएस मात्र 37 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही।
जेडीएस ने 2004 में 58 सीटें जीतीं, यह उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। जेडीएस और कांग्रेस ने धरम सिं के नेतृत्व में सरकार बनाई, लेकिन श्री देवेगौड़ा ने 20 महीने बाद धरम सिंह को अपने बेटे एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली पार्टी में विभाजन करके छोड़ दिया, जो भाजपा के साथ एक सौदा करने में कामयाब रहे।
समझौते के अनुसार श्री कुमारस्वामी 20 महीने तक शासन करेंगे और बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त करेंगे लेकिन जब समय आया, श्री देवेगौड़ा ‘धर्मनिरपेक्ष’ हो गए और उन्होंने घोषणा की कि जेडीएस कभी भी “सांप्रदायिक” पार्टी को सत्ता में नहीं रखेगी। जेडीएस को यह अवसरवादी राजनीति का दौर महंगा पड़ा और अगले तीन चुनावों में इसकी सीटों की संख्या 2008 में 28 से 2013 में 40 और 2018 में 38 तक हो गई।