नयी दिल्ली । रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने हैदराबाद में मिसाइल सिस्टम क्वालिटी एश्योरेंस एजेंसी (एमएसक्यूएए) को आकाश हथियार प्रणाली (भारतीय सेना संस्करण) के सीलबंद विवरण रखने वाले प्राधिकरण (एएचएसपी) को सौंप दिया।
हैंडओवर रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) में आयोजित किया गया था, जिसने एक नोडल एजेंसी के रूप में आकाश हथियार प्रणाली को डिजाइन और विकसित किया है। एएचएसपी हस्तांतरण के हिस्से के रूप में प्रोजेक्ट आकाश द्वारा तकनीकी विनिर्देश और गुणवत्ता दस्तावेज तथा पूर्ण हथियार प्रणाली तत्वों की ड्राइंग को सील कर दिया गया एवं एमएसक्यूएए को सौंप दिया गया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऐतिहासिक घटना के रूप में एएचएसपी हस्तांतरण को पूरा करने पर डीआरडीओ, भारतीय सेना और उद्योग को बधाई दी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह सेवाओं की आवश्यकता को पूरा करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने प्रोजेक्ट आकाश टीम को मिसाइल क्लस्टर से एमएसक्यूएए में मिसाइल और मल्टीपल ग्राउंड सिस्टम वाली ऐसी जटिल प्रणाली के लिए पहले एएचएसपी हस्तांतरण के लिए बधाई दी।
उन्होंने कहा कि स्थानांतरण प्रक्रिया भविष्य की मिसाइल प्रणालियों के लिए रोडमैप तैयार करेगी, जो उत्पादन के अधीन हैं। आकाश पहली अत्याधुनिक स्वदेशी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है जो लगभग एक दशक से सशस्त्र बलों के साथ भारतीय आसमान की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा प्रदान कर रही है। यह भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना द्वारा 30,000 करोड़ रुपये के लागत मूल्य से प्रेरित है, जो स्वदेशी मिसाइल सिस्टम के लिए सबसे बड़े एकल सिस्टम आर्डर में से एक है।
डीआरडीएल के अलावा, कई अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाएं सिस्टम के विकास में शामिल हैं। सिस्टम भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, लार्सन एंड टुब्रो, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड, बीईएमएल लिमिटेड के साथ-साथ माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज और अन्य उद्योग भागीदारों की ओर से निर्मित हैं।