बेंगलुरु। कर्नाटक कांग्रेस का अचानक से बदला चेहरा अब कर्नाटक भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। दरअसल कर्नाटक कांग्रेस की सबसे बड़ी खामी उसके दो गुटों का टकराव था। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिव कुमार के बीच यह मतभेद जगजाहिर थे। पिछली बार कर्नाटक में भाजपा विरोधी सरकार के पतन का एक प्रमुख कारण यही गुटबाजी भी रही थी।
यहां अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के ठीक पहले इन दोनों नेताओँ की एकजुटता से पूरे प्रदेश में कांग्रेस का दूसरा ही चेहरा नजर आने लगा है क्योंकि यह दोनों नेता अब एकसाथ नजर आने लगे हैं। दरअसल दोनों को करीब लाने में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, यह स्पष्ट है। कर्नाटक में इस यात्रा के दौरान दोनों नेताओं को राहुल गांधी ने एक साथ लेकर पैदल चलने का काम किया है।
इस दौरान कई मजेदार वाकया भी हुए हैं। इसके बीच ही दोनों की दूरी कम करने में भी राहुल गांधी को कामयाबी मिली है। इस राज्य में 24 दिनों की यात्रा और कई जनसभाओं के जरिए कांग्रेस की एकजुटता का साफ संदेश पूरे प्रदेश में गया है। साथ ही इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने वर्तमान भाजपा सरकार पर जोरदार हमला भी बोला है, जिसका संतोषजनक उत्तर अब तक कर्नाटक भाजपा नहीं दे पा रही है।
राज्य के विभिन्न इलाकों से आये कांग्रेस कार्यकतार्ओं का उत्साह भी इस पदयात्रा में बढ़ा है। पार्टी के निचले स्तर के कार्यकर्ता भी अब यह मानते हैं कि इन दोनों नेताओं के बार बार एक साथ मंच पर आने से जो संकेत गया है, उससे पार्टी को अगले विधानसभा चुनाव में फायदा होना तय है। इस बारे में मीडिया से बात करते हुए खुद डीके शिवकुमार ने दावा किया है कि अगले चुनाव में पार्टी कमसे कम डेढ़ सौ सीटों पर जीत हासिल करेगी।
पिछली बार भाजपा के आपरेशन लोट्स की वजह से जिस सरकार का पतन हुआ था, वह भी जनता की चुनी हुई सरकार थी। उनके मुताबिक इस यात्रा से जिस उत्साह का संचार हुआ है, उसे कायम रखते हुए काम करना अब प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी है। दूसरी तरफ भाजपा का दावा है कि कांग्रेस के यह दोनों ही नेता मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। इसी वजह से प्रदेश में कांग्रेस का यह हाल हुआ है।