रांची: यह जानकारी हमसभी के लिए हैरानी की बात है कि मधुमक्खियों का झूंड भी अपने छोटे से पंख फड़फड़ाकर काफी बिजली पैदा कर देता है। इस बारे में हुए शोध का यही निष्कर्ष है। इससे पहले विज्ञान को भी इस घटना के बारे में न तो कोई जानकारी थी और न ही किसी ने इसकी उम्मीद भी की थी।
अब शोध का नतीजा सामने आने के बाद यह माना गया है कि मधुमक्खियों का एक बड़ा झूंड अगर एक साथ उड़ता है तो वहां इतनी बिजली पैदा होती है जो किसी आसमानी बिजली से भी अधिक होती है। चूंकि इनका दायरा बहुत सीमित होता है, इसलिए अब तक यह रहस्य विज्ञान की आंखों से ओझल रह गया था।
इससे संबंधित शोध का निष्कर्ष है कि ऐसी मधुमक्खियां एक मीटर के दायरे में एक हजार वोल्ट की स्थिर बिजली पैदा कर देती है। दायरा सीमित होने की वजह से उस विद्युतीय आवेश का पता नहीं चल पाता है।
यूनिवर्सिटी आफ ब्रिस्टल के एलार्ड हंटिंग और उनके सहयोगियों ने इस पर काम किया है।
जिसके आधार पर यह कहा गया है कि मधुमक्खियों के झूंड की बिजली किसी आसमानी बिजली से अधिक घनत्व वाली होती है। इस बात को समझने के लिए शोध दल ने अपने विश्वविद्यालय के करीब ही उपकरण स्थापित किये थे। इनके आधार पर वहां पैदा होने वाली बिजली को मापा गया है।
वैसे उड़ती हुई मधुमक्खियों के इस गुण का पता इसलिए भी पहले नहीं चल पाया था क्योंकि इस झूंड के बीच आम तौर पर कोई इंसान हीं जाता क्योंकि वे उड़ते हुए भी हमला कर देती हैं। गणना के बाद ही यह पाया गया है कि एक झूंड के द्वारा पैदा की गयी बिजली का घनत्व आसमानी बिजली के मुकाबले बहुत अधिक होता है। इस बिजली को नापने के लिए शोध दल ने मधुमक्खियों के छत्ते के करीब ही बिजली का आवेश नापने के लिए यंत्र लगाये थे। जो निरंतर वहां की गतिविधियों की सूचना नियंत्रण कक्ष तक पहुंचा रहे थे।
इस बारे में हंटिंग ने कहा कि दरअसल हर मधुमक्खी एक आवेश पैदा करती है लेकिन जब यह काम समूह में होता है तो उसका प्रभाव बहुत अधिक हो जाता है। पहले इसे कभी नापा नहीं गया था। शोध दल ने जहां अपने उपकरण लगाये थे, उनपर नजर रखने के लिए वीडियो कैमरे भी लगाये गये थे।
यंत्र के करीब गुजरते मधुमक्खियों के झूंड के प्रभाव को तीन मिनट तक लगातार दर्ज किया जाता था। यह काम अपने आप ही हो रहा था क्योंकि मधुमक्खियों के पास होने के संकेत मिलते ही यह सारे यंत्र सक्रिय हो जाते थे। इससे पाया गया कि झूंड जितना बड़ा होता है, उससे आवेशित बिजली का स्तर और अधिक बढ़ जाता है। वहां की बिजली नापने के यंत्रों ने आवेशित बिजली का आंकड़ा एक सौ वोल्ट प्रति मीटर से एक हजार वोल्ट तक का दर्ज करने में सफलता पायी है।
इस एक शोध से करीब पचास साल पहले की एक गुत्थी भी सुलझती दिख रही है। उस वक्त एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने टेक्सान में आये एक टॉनेर्डो के लिए तितलियों के पंख फड़फड़ाने को जिम्मेदार ठहराया था। अब जाकर पता चल पाया है कि ऐसे छोटे जीवों के पंख फड़फड़ाने से भी बिजली पैदा होती है। इससे निचले स्तर पर मौजूद हवा भी आवेशित होकर किसी तूफान को जन्म दे सकती है।