लंदन। भारतवंशी अशोखक अलीसेरिल थामाराकसान ने अपने घर के लोगों के लिए घर में ही एक हवाई जहाज बनाने का विश्व रिकार्ड बनाया है। इस प्लेन को तैयार करने के बाद वह खुद इसके टेस्ट पाइलट बने थे। बाद में वह अपनी पत्नी को भी उड़ान पर साथ ले गये थे।
अब उनके द्वारा यह प्लेन हल्के श्रेणी के हवाई जहाज के तौर पर मान्यता पा चुका है। पेशे से मैकानिकल इंजीनियर अशोख जब ब्रिटेन में एसेक्स के एक एयरफील्ड के करीब रहने लगे तो उन्होंने सबसे पहले प्लेन उड़ाना सीखा। हवाई जहाज उड़ाने का प्रशिक्षण पा लेने के बाद उन्हें पाइलट का लाईसेंस भी मिल गया। इस बीच उन्होंने लंबी दूरी का हवाई सफर भी पूरा किया।
इधर घर पर उनका परिवार बड़ा होता चला गया। अब अशोक और उसकी पत्नी अभिलाषा की दो बेटियां हैं। सभी को एक साथ ले जाने के लिए किराये पर हवाई जहाज लेना खचीर्ला था। इसी सोच ने अशोक को अपने ज्ञान के आधार पर छोटे आकार का हवाई जहाज बनाने के लिए प्रेरित किया।
वह चाहते थे कि वह एक ऐसा हवाई जहाज बनाये, जिसमें उनका पूरा परिवार एक साथ सफर कर सके और उसका खर्च भी कम हो। एक मैकानिकल इंजीनियर होने की वजह से उन्हें ऐसे हवाई जहाज की संरचना को समझने में दिक्कत नहीं हुई।
लेकिन इन तमाम उपकरणों को खुद से तैयार करना संभव नहीं था। इस काम में उनकी मदद की दक्षिण अफ्रीका की कंपनी स्लिंग ने। यह कंपनी अपने हाथ से हवाई जहाज बनाने के सारे उपकरणों को तैयार करती है, जिन्हें सावधानी से आपस में सही तरीके से जोड़ना होता है। जनवरी 2020 में अशोक ने पहली बार इस कंपनी का दौरा किया और पूरी बात को समझा।
वहां से लौटते वक्त वह अपने लिए भी खुद से हवाई जहाज बनाने का किट का आॅर्डर दे आये। यह सारे सामान जब लंदन पहुंचे कोरोना फैल चुका था और लॉकडाउन लग गया था। इस लॉकडाउन के दौरान उन्होंने अपने ही घर के बगीचे में एक शेड का निर्माण किया।
एक अनुभवी इंजीनियर की तरह उन्होंने कई चरणों में इस काम को पूरा करने की योजना बनायी। गुणवत्ता पर सही काम हो, इसके लिए उन्होंने लाइट एयरक्राफ्ट एसोसियेशन से भी दिशा निर्देश लिये। यह एसोसियेशन ऐसे निमार्णों का नियमित मुआयना करती है ताकि मान्यता के लिए आवेदन देने के पहले ही उनकी जांच हो सके। अप्रैल 2020 में अशोक ने प्लेन को तैयार करने का काम प्रारंभ किया।
जिस प्लेन को वह तैयार करने जा रहे थे, वह 7.175 मीटर लंबा और 2.45 मीटर ऊंचा था। जहां कहीं पर एक से अधिक लोगों की जरूरत पड़ती थी वहां पर उनकी बड़ी बेटी तारा ने उनका साथ दिया। गरमी समाप्त होने तक इस हवाई जहाज के पंख और पिछला हिस्सा तैयार हो चुका था।
उसके बाद इसके ईंधन की टंकी का काम प्रारंभ हुआ। अक्टूबर तक यह काम पूरा होने के पहले ही इस खुद से बनाओ विमान के दूसरे हिस्से भी आ चुके थे। सारा काम पूरा होने के बाद अलग अलग खंडों में बने इस हवाई जहाज को सही तरीके से जोड़ना कठिन चुनौती थी।
इस दौरान लाइट एयरक्राफ्ट एसोसियेशन के विशेषज्ञ समय समय पर इस प्रगति को देखते और जांचते रहे। सारे हिस्सों को जोड़ने कि लिए उनके बगीचे में बने इस शेड में जगह नही थी। इसलिए अशोक ने अपने घर के पास से कैंब्रिज के एक हैंगर में यह काम पूरा करना का फैसला किया।
सब काम पूरा होने के बाद इस स्वनिर्मित हवाई जहाज का नाम उन्होंने अपनी अपनी छोटी बेटी के नाम पर जी दिया रखा। जांच में पास होने के बाद उन्होंने इस हवाई जहाज पर पहली उड़ान जनवरी 2022 में भरी। यह एक परीक्षण उड़ान था। उसके बाद से यह घर में बना हवाई जहाज परीक्षण में पास घोषित किया जा चुका है। अब अशोक अपने परिवार को लेकर इसी हवाई जहाज से सफर करते हैं।