रांची।मच्छरों के काटने से इंसानों के परेशान होने का अलग अलग मापदंड होता है। यह हम पहले से ही देखते आये हैं कि कुछ लोगों को मच्छर ज्यादा काटते हैं जबकि उसके पास बैठे व्यक्ति पर मच्छरों का उतना अधिक हमला नहीं होता है। अब जाकर वैज्ञानिकों ने इसके मूल कारण को तलाशा है।
कुछ लोगों का गंध ही मच्छरों के लिए चुंबक जैसा काम करता है। इसी महक की वजह से ज्यादा मच्छर उसकी तरफ खींचे चले आते हैं। न्यूयार्क के रॉकफेलर विश्वविद्यालय के शोध दल ने हर मुद्दों को जांच लेने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है।
यह पाया गया है कि जेनेटिक कारणों से हर इंसान के अंदर अलग अलग रसायनों का सृजन होता है। इन रसायनों का असर भी अलग अलग होता है। कुछ खास रसायन शरीर की महक में तब्दीली करने में सक्षम होते हैं। इसी वजह से किसी खास इंसान की महक की तरफ मच्छर ज्यादा आकृष्ट होते हैं।
शोध में पाया गया है कि इन आंतरिक रसायनों की वजह से जो सुक्ष्म गंध इंसानी चमड़े पर फैलती है, उसे मच्छर बेहतर तरीके से सूंघ सकते हैं। इन छोटे से प्राणियों को सिर्फ इंसानी खून की आवश्यकता होती है। जिस इंसान की महक उनकी चाहत के अनुकूल होती है, उस पर मच्छरों का यह हमला अधिक होता है।
इस शोध से जुड़े वैज्ञानिक लेस्ली वोशाल ने कहा कि किसी जंगली इलाके में एक साथ जाने वाले किसी दल के लोगों को इसका अलग अलग अनुभव पहले भी हुआ होगा। अब जाकर इसके असली कारण का पता चल पाया है।
एक साथ गये लोगों की भीड़ में कुछ खास लोगों पर ही मच्छरों का ज्यादा आक्रमण इसी महक की वजह से होता है। पहले इस बात को नहीं समझा जा सका था। इंसानी चमड़े पर रसायन की महक जितनी अधिक होगी, मच्छरों का आकर्षण भी उस व्यक्ति के प्रति उतना ही अधिक होगा। यह अलग बात है कि इस सुक्ष्म गंध को इंसानी नाक नहीं पकड़ पाता है।
शोध दल ने इस बात को समझने के लिए प्रयोगशाला में इसपर प्रयोग भी किया है। इस बात को बेहतर तरीके से समझने के लिए वैज्ञानिकों ने 64 स्वयंसेवकों की मदद ली थी। ये सभी लोग यूनिवर्सिटी या आस पास के लोग थे। इनलोगों को अपनी बाहर पर नायलन की पर्त पहनने को कहा गया था ताकि इन नायलनों पर लोगों को चमड़े की महक लग सके।
बाद में इन सभी नायलन स्टॉकिंग्स को एक लंबे से ट्यूब में डाल दिया गया था। इस ट्यूब में कई दर्जन मच्छर छोड़े गये थे। इनका आचरण वैज्ञानिक बाहर से देख रहे थे। इसमें साफ दिखा कि कुछ ऐसे स्टॉकिंग्स की तरफ ज्यादातर मच्छर आकर्षित हुए।
इस प्रयोग के बाद इससे बड़ा भी प्रयोग किया गया और यह देखा गया कि कई घातक बीमारियों के वायरस फैलाने वाले मच्छर कुछ खास महक की तरफ आकर्षित हुए। इससे यह साबित हुआ कि इंसानी चमड़े की महक ही मच्छरों के लिए चुंबक का काम करती है, जो अलग अलग व्यक्ति के लिए अलग अलग होता है।