देहरादून। गढ़वाली और मराठी के कई शब्दों में भाषाई समानता बनेगी पर्यटन विकास का आधार: कोश्यारी
हल्द्वानी उत्तराखंड के पूर्व सीएम एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दावा किया है कि पर्यटन, शिक्षा समेत कई क्षेत्रों में महाराष्ट्र के लोग उत्तराखंड में निवेश करना चाहते हैं।
उन्होंने उद्योगपतियों को इसके लिए प्रेरित किया है। उन्होंने बहुत ही साफगोई से कहा कि उत्तराखंड की बदौलत ही उन्हें महाराष्ट्र की सेवा का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि बहुत गहराई से देखा जाए तो महाराष्ट्र और उत्तराखंड में मराठी, कुमाऊंनी, गढ़वाली के कई शब्दों में समानता है। इस समानता से उत्तराखंड में पर्यटन विकास में महाराष्ट्र के लोगों की मदद मिल सकती है।
यह दावा श्री कोश्यारी ने बुधवार को मीडिया के आग्रह पर यहां गौलापार सर्किट हाउस में किया। इससे पहले कोश्यारी का छोलिया नृत्य से जोरदार स्वागत किया गया। कोश्यारी की एक झलक पाने के लिए भाजपा, कांग्रेस, सपा एवं तमाम अन्य नेता एवं कार्यकर्ताओं में होड़ लगी थी। अपनी चित परिचित शैली में कोश्यारी ने किसी को निराश नहीं किया। उन्होंने सभी के गुलदस्ते लिए और माला पहनी और अपने ही अंदाज में अपने जाने पहचाने लोगों को गुलदस्ते और मालएं सौंप दी।
अपने तय कार्यक्रम से करीब डेढ़ घंटा विलबं से पहुचें कोश्यारी का महाराष्ट्र का राज्यपाल बनने के बाद पहली बार अपने संसदीय क्षेत्र में आने पर कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया। कोश्यारी ने सर्किट हाउस में गार्ड ऑफ आनर लिय और इसके बाद सर्किट हाउस की सीढ़ियों में ही गुलदस्ते और मालाएं लेनी शुरू कर दी। इससे पुलिस और एलआईयू के अफसरों को काफी परेशानी हुई।
पुलिस के दरोगाओं की एक टीम ने गोल घेरा बनाकर कोश्यारी को अपने सुरक्षा में लिया और यही पर गुलदस्ते लेने का काम शुरू हो गया। करीब आधे घंटे कोश्यारी अपने ही अंदाज में गुलदस्ते लेते और लोगों को देते रहे। इसके बाद कोश्यारी विश्राम के लिए सर्किट हाउस के वीआईपी कक्ष में दाखिल होने गए तो यहां भी भीड़ ने पीछा नहीं छोड़ा।
इसके बाद कुछ खास लोगों से गुफ्तगू की और बाद में अपने करीबी प्रोफेसर डा. अनिल डब्बू के घर कर भोजन के लिए प्रस्थान करने लगे तो मीडिया के अनुरोध पर बात करने को तैयार हो गए। बहुत संक्षिप्त बयान देने के बाद डब्बू के घर चले गए।
यहां करीब सौ से ज्यादा लोगों ने कोश्यारी के साथ भोजन किया और इसके बाद वापस सर्किट हाउस आ गए। यहां कुछ पल विश्राम के बाद फिर से लोगों ने मिलने का सिलसिला शुरू कर दिया। यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा।