समुद्र की गहराई के अधिकांश हिस्से को अब देख सकेंगे वैज्ञानिक

रांची। समुद्र के रहस्यों पर से और पर्दा उठाने में एलविन नया और कारगर तरीका साबित होगा। यूं तो यह उपकरण काफी पहले से यही काम करता आ रहा है लेकिन अब वह और अधिक गहराई तक जा सकता है।

परीक्षण के दौरान इस रोबोट सबमेरिन ने समुद्री तल पर मौजूद दो टेक्टोनिक प्लेटों के बीच की दरार तक को देखा है। अब इसमें नई खासियत यह जोड़ दी गयी है कि यह अपने साथ तीन लोगों को भी वहां तक ले जा सकता है।

इसकी जांच के लिए समुद्र में नीचे गयी समुद्र विज्ञानी अन्ना मिशेल ने अपनी आंखों से समुद्र के नीचे का वह इलाका भी देखा है, जिन्हें थर्मल वेंट यानी गर्मी निकालने के छेद के तौर पर जाना जाता है। इनमें से मिड कैमन राइज प्रमुख है जो समुद्र की सबसे अधिक गहराई में मौजूद ऐसा छिद्र हैं, जहां से अब भी ताप और गैस दोनो ही बाहर निकल रहे हैं। इसी इलाके में दो टेक्टोनिक प्लेटों की इस स्थिति को भी करीब से देखा गया है जबकि ऐसा माना जाता है कि कैमन द्वीप के दक्षिण में स्थित दोनों टेक्टोनिक प्लेट हर साल करीब पंद्रह मिलीटर अलग हो रहे हैं।
समुद्र के नीचे मौजूद जीवंत ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाले लावा को ठंडा करने में समुद्री जल भी गर्म हो जाता है। कई बार ऐसे इलाके का तापमान साढ़े सात सौ डिग्री फारेनहाइट तक हो जाता है। यह नया एलविन वहां तक पहुंचने की क्षमता रखता है।

पिछले 58 वर्षों से काम करने वाला यह उपकरण पिछले जुलाई माह में गहराई तक जाने का नया रिकार्ड बना चुका है। इसने प्यूरिटो रिको के पास करीब चार मील की गहराई का रिकार्ड बनाया है। इस उपलब्धि की वजह से यह माना जा रहा है कि अब दुनिया के समुद्र का 99 प्रतिशत हिस्सा यह उपकरण देख सकता है।

इसमें अब एक पाइलट और दो यात्री भी नीचे जा सकते हैं। इस व्यवस्था को अब नई तकनीक से लैश कर लिया गया है। इसमें किये गये इस सुधार के बारे में वूड्स होल ओशनोग्राफिक इंस्टिट्यूशन के मुख्य अभियंता एंड्रूय बोवेन ने जानकारी दी है।
अंतरिक्ष में काफी दूर तक सफर कर वहां का हाल जानने में सफल वैज्ञानिक धरती पर मौजूद इन समुद्रों की गहराइयों के रहस्यों को अब तक पूरी तरह नहीं जान पाये हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इतनी गहराई तक पहुंचने की तकनीक हमारे पास नहीं थी। एलविन में किये गये सुधार से इस स्थिति में बदलाव आने की उम्मीद है। इस उपकरण पर मजबूत टाइटेनियम की पर्त है।

इसके साथ समुद्र के नीचे जाने वालों ने इतना मजबूत कवच होने के बाद भी गहराई में पानी के दबाव को महसूस किया है। उम्मीद है कि इस उपकरण के सहारे समुद्र में अब तक नहीं देखे गये जीवों की भी तलाश हो सकेगी, जो आम तौर पर विज्ञान की नजरों से ओझल ही चल रहे हैं।

अत्यंत गहराई में रहने वाले ऐसे जीव घने अंधेरे में ही रहते हैं क्योंकि वहां तक सूर्य की रोशनी भी नहीं पहुंच पाती है। परीक्षण यात्रा के दौरान शोध दल ने समुद्र के नीचे से टेक्टोनिक प्लेटों के नमूने भी एकत्रित किये हैं। अब इसमें 4 के कैमरा भी लगाया गया है जो अधिक साफ तरीके से चीजों को देख और रिकार्ड कर सकता है। करीब साठ वर्षों के निरंतर शोध के बाद अब समुद्र की इतनी गहराई तक पहुंचने के लिए यह कारगर उपकरण तैयार हुआ है।

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