गांबिया में मौत का कारण बने दवाई अमेरिकी फर्म से भेजी थी

नईदिल्ली। भारत के हरियाणा की जिस कंपनी की खांसी की दवा पीने से 69 बच्चों की मौत हुई है, उसे एक अमेरिका कंपनी ने गांबिया भेजा था। गांबिया पुलिस की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है। इस रिपोर्ट में दवा बनाने वाली कंपनी को प्राथमिक अभियुक्त नहीं बनाया गया है।

इस बीच मेडन फार्मा के कारखाना को भारत सरकार ने बंद करा दिया है। कंपनी ने इन मौतों पर दुख व्यक्त करते हुए सफाई दी है कि वह दवा उत्पादन के लिए बेहतर कंपनियों से ही कच्चा माल खरीदती है। अब बच्चों की दुखद मौत के बाद सरकारी एजेंसियों ने दवा के नमूने कंपनी से हासिल किये हैं।

कंपनी को उनकी रिपोर्ट का इंतजार है। कंपनी की तरफ से यह सफाई भी दी गयी है कि चूंकि यह न्यायिक मामला है, इसलिए रिपोर्ट आने तक वह इस पर कुछ नहीं कहेंगे। दूसरी तरफ दवा का गांबिया तक निर्यात करने वाली कंपनी की तरफ से अब तक कोई सफाई नहीं दी गयी है।
दूसरी तरफ गांबिया से मिली सूचनाओं के मुताबिक एक अमेरिकी कंपनी एटलांटिक फार्मास्यूटिल्स ने इसे गांबिया भेजा था। वहां पर इस किस्म के कफ सिरप के पचास हजार बोतल भेजे गये थे। इनमें से 41462 बोतल जब्त कर लिये गये हैं। शेष बोतल अब तक कहां हैं, इसका पता नहीं चल पा रहा है।

जिन दवाइयों की वजह से बच्चों की मौत हुई है उनके नाम प्रोमिथाजाइन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मेकोफ बेबी कफ सिरप और मैग्रिप एन कोल्ड सिरप हैं। इनके इस्तेमाल की वजह से बच्चों की किडनी ने काम करना बंद कर दिया था।

वैसे मेडन कंपनी ने साफ कर दिया है कि यह दवा सिर्फ गांबिया में ही भेजे गये हैं। वैसे देश की कई राज्य सरकारों ने एहतियात के तौर पर इस कंपनी की दवाइयों पर प्रतिबंध लगा दिया है। दूसरी तरफ गांबिया के स्वास्थ्य मंत्री अहमद लामीन सामाटेह ने कहा है कि दवा निमार्ता कंपनी की लापरवाही से ऐसा हुआ है क्योंकि हमें पता चला है कि उस कंपनी के पास दवा की जांच करने की प्रयोगशाला भी नहीं है।

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