बुल्डोजर से जमींदोज तो नहीं किए गए राज
‘वीआईपी’ की थाह लेने में शासन-प्रशासन की चुप्पी भी सवालों के घेरे में
डॉ श्रीगोपाल एडवोकेट
करियर बनाने का सपना लिए घर से बाहर निकली अंकिता भंडारी की हत्या के आरोप में भले ही रिसोर्ट स्वामी और उसके दो प्रबंधकों की गिरफ्तारी कर ली गई हो, लेकिन अब भी कई सवालों के जवाब आने बाकी हैं। अंकिता की हत्या की गुत्थी सवालों के भंवर में इस कदर उलझी है जिसका जवाब दिए बिना भाजपा के लिए पहाड़ में आगे की राह मुश्किल नजर आ रही है।
क्योंकि जिस तरह से रिजॉर्ट के उस हिस्से को जहां अंकिता रहती थी, तोड़ने में जल्दबाजी की गई और जिसको ‘सर्विस’ देने के लिए उस बच्ची पर दबाव बनाया जा रहा था उस ‘वीआईपी’ की थाह लेने में शासन-प्रशासन नाकामी बताती है कि बहुत कुछ है जो सामने लाए जाने के बजाय छिपाया जा रहा है लेकिन आखिर क्यों? क्योंकि चश्मदीदों के अलावा अंकिता की मां के सवालों से भी अब पीछा नहीं छुड़ाया जा सकता।
बेटी की हत्या से गमगीन अंकिता की मां ने अपना दर्द बयां किया है। उन्होंने कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है, क्योंकि उन्हें अंतिम समय में अंकिता का मुंह तक देखने नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, ‘रात को अंतिम संस्कार करने की क्या जरूरत थी? जब इतना रुक गए थे तो एक दिन और रुक जाते। सबसे बड़ा गुनाह तो सरकार ने किया कि मुझे अपनी बेटी का चेहरा तक नहीं देखने दिया।’ पौड़ी जिले के श्रीनगर से 23 किलोमीटर दूर श्रीकोट गांव में सांत्वना देने आए लोगों की मौजूदगी में उन्होंने कहा कि एक मां के साथ सबसे बड़ा अन्याय तो यही है कि वह अपनी बेटी का चेहरा भी नहीं देख पाई।
उन्होंने बताया कि उन्हें अस्पताल में रखा गया था और बेटी के अंतिम संस्कार की बात, उन्हें तब पता चली जब उन्हें श्मशान घाट चलने के लिए कहा गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले ही कह दिया था कि अंतिम पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने तक अंतिम संस्कार न किया जाए, लेकिन सरकार ने जबरन अंतिम संस्कार कर दिया। उन्होंने बेटी की हत्या के आरोपियों के लिए फांसी की सजा की मांग करते हुए कहा कि उन्हें अपने बेटे की सुरक्षा की भी चिंता है क्योंकि आरोपी रसूखदार लोग और अब तक भाजपा से जुड़े थे। अंकिता की मां ने कहा, ‘आरोपियों को जिंदा रहने का हक नहीं है।’
अंकिता भंडारी 18 सितंबर से लापता थी। पांच दिन बाद उसका शव बरामद किया गया। वह ऋषिकेश के वनंतारा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करती थी। यह रिसॉर्ट पूर्व बीजेपी नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य का है। पुलकित आर्य और उसके दो कर्मचारियों पर अंकिता भंडारी की हत्या का आरोप लगा है। भले ही अंकिता भंडारी के शव का दाह संस्कार हो चुका हो, लेकिन उत्तराखंड में अब भी इस हत्याकांड को लेकर आक्रोश कम होता दिखाई नहीं दे रहा। लोगों को शक है कि कहीं न कहीं इस केस के आरोपियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। सवाल उठ रहे हैं कि पानी से करीब 6 दिन बाद निकाले जाने के बाद भी अंकिता का शव फूला क्यों नहीं था? सवाल यह भी है कि रिजॉर्ट में अंकिता का कमरा ही क्यों तोड़ा गया? इस रिजॉर्ट को तोड़ने में इतनी जल्दबाजी क्यो की गई। विधायक रेणु बिष्ट को बुलडोजर बुलाने का क्या अधिकार था? जो तोड़फोड़ की गई उसे लेकर जिलाधिकारी तक बार-बार अपना बयान बदल रहे हैं। पहले उन्होंने कहा कि रिजॉर्ट तोड़ने का आदेश उन्होंने नहीं दिया, कुछ दिनों बाद उन्होंने स्वयं के आदेश से रिजॉर्ट तोड़ने की बात कही। लेकिन जब मामले में मुकदमा दर्ज हो चुका था तो क्या रिजॉर्ट तोड़ना विशेषकर अंकिता कमरा ध्वस्त करना साक्ष्य मिटाना या सभी साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ नहीं है?
चश्मदीद सरोजिनी थपलियाल ने बताया, अंकिता के शव को पानी से निकालने से लेकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल ले जाने तक मैं साथ रही थी। मैंने देखा कि डेडबॉडी बिल्कुल फूली हुई नहीं थी, जबकि 6 दिन से नहर में डूबने की बात कही जा रही है। यही नहीं, दांत भी टूटे हुए थे और सीने पर खरोंच के निशान थे। इसके अलावा अंकिता की डेडबॉडी पर घाव भी थे और बाल उखड़े हुए थे। सरोजिनी ने आगे बताया, मेरे साथ दो महिलाएं प्रमिला रावत और आरती राणा भी थीं। वो दोनों भी अंकिता की डेड बॉडी देखकर चौंक गईं थी। डेड बॉडी के न फूलने से अब शक पर शक पैदा होता जा रहा है। अंकिता को न्याय दिलाने के लिए सोशल मीडिया पर आवाज उठा रहे आशंका जता रहे हैं कि कहीं हत्या करके अंकिता की लाश नहर में तो नहीं फेंकी गई? जबकि आरोपियों ने पुलिस को बताया था कि विवाद के बाद उन्होंने अंकिता को चिल्ला नहर में धक्का दे दिया था।
अंकिता के आरोपियों पर धामी सरकार की कार्रवाई से पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं दिख रहे। इसकी वजह बताते हुए कहा कि अस्पताल में पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टरों का पैनल पूरा नहीं था। महिला का पोस्टमार्टम करने के लिए महिला डॉक्टर को भी होना चाहिए था, लेकिन पुरुष डॉक्टरों की मौजूदगी में ही पूरी प्रक्रिया की गई। इसलिए इस पूरी कार्यवाही पर संदेह बना हुआ है। अंकिता की प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी हत्या से पहले उसे चोट पहुंचाए जाने की बात कही गई है। हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी मौत का कारण पानी में डूबना बताया गया है। संदेह की एक वजह यह है कि कार्रवाई के नाम पर रिजॉर्ट में सिर्फ अंकिता के कमरे को ही क्यों तोड़ा गया? पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर स्थित गंगा भोगपुर में वनंतारा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट 19 साल की अंकिता का शव 24 सितंबर को ऋषिकेश के नजदीक चिल्ला नहर से बरामद किया गया था।
पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों-रिजॉर्ट संचालक पुलकित आर्य, मैनेजर सौरभ भास्कर और असिस्टेंट मैनेजर अंकित गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिस के सामने उसे नहर में धकेल कर हत्या करने की बात स्वीकार की है। अंकिता भंडारी के पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सीएम को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा है, इसमें कई मांगें की गई हैं। पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्हें एक करोड़ की मदद दी जाए, साथ ही परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी मिले। अंकिता के नाम पर गांव मल्ली से बरमुंडी की सड़क का नामकरण किया जाए। अंकिता के नाम पर सार्वजनिक जगह पर एक स्मारक बनवाया जाए। परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए। अंकिता जिस रिजॉर्ट में काम करती थी, वहां उसके नाम पर आदर्श विद्यालय खोला जाए। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान में अंकिता के नाम पर पुरस्कार हो। पुलकित आर्य के भाई और पिता को जांच पूरी होने तक कस्टडी में रखा जाए। क्योंकि पुलकित के भाई और पिता जांच को प्रभावित कर सकते हैं। बेटी के गुनहगारों को जल्द से जल्द फांसी की सजा दी जाए।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सवाल उठाया कि वो कौन ‘वीआईपी’ था, जिसे एस्कॉर्ट करने के लिए अंकिता पर दबाव बनाया जा रहा था। ऐसे वीआईपी को बेनकाब किया जाना चाहिए। हमारी देवभूमि में शर्मनाक और घटिया कामों को बढ़ावा देने वाले ऐसे चेहरों को समाज के सामने लाना चाहिए। इस प्रकरण से भाजपा हाईकमान भी असहज है। भाजपा हाईकमान ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट व विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को दिल्ली तलब कर कई मामलों में चर्चा की। उत्तराखंड में भाजपा के एक दर्जा धारी द्वारा जमीन के लेनदेन के एक मामले में एक व्यक्ति को छत से नीचे फेंक कर मार देने के बाद भी नेता का न पकड़े जाना, भाजपा के ही दर्जाधारी विनोद आर्य के पुत्र के रिजॉर्ट में काम करने वाली 19 वर्षीया अंकिता भंडारी की नेता पुत्र द्वारा की गई हत्या ने जहां भाजपा की किरकिरी की है, वहीं विधानसभा में मनमानी नियुक्ति, विधानसभा अध्यक्ष द्वारा राज्य से बाहर की लोगों की अपने स्टाफ के रूप में की गई नियुक्तियों और अधीनस्थ चयन आयोग व सहकारिता विभाग में नियुक्तियों को लेकर खुले व्यापक भ्रष्टाचार के मामले ने भाजपा हाईकमान की नींदें उड़ा दी हैं। माना जा रहा है विधानसभा चुनाव हार जाने पर भी जिन पुष्कर सिंह धामी पर भाजपा हाईकमान ने भरोसा किया था, अब वही हाईकमान उनसे असंतुष्ट है और राज्य में उनका विकल्प खोज नेतृत्व परिवर्तन को अंजाम दे सकता है। यदि ऐसा हुआ तो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, सतपाल महाराज, अजय भट्ट या फिर अन्य किसी को राज्य की बागडोर सौंपी जा सकती है।